कैलाश के निवासी नमो बार बार भजन

कैलाश के निवासी नमो बार बार भजन

 
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ लिरिक्स Kailash Ke Nivasi Namo Bar Bar Hu Lyrics Shiv Bhajan Osman Mir

कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ
आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू,


कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ

आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू,
आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू,
भोले तार तार तू,
कैलाश के निवासी
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ

भक्तो को कभी शिव तुने निराश ना किया
माँगा जिन्हें जो चाहा वरदान दे दिया

बड़ा हैं तेरा दायजा, बड़ा दातार तू,
बड़ा दातार तू

आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ

आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू
भोले तार तार तू, तार तार तू
कैलाश के निवासी
बड़ा हैं तेरा दायजा, बड़ा दातार तू

बखान क्या करू मै राखो के ढेर का
चपटी भभूत में हैं खजाना कुबेर का

हैं गंग धार, मुक्ति द्वार, ओंकार तू
ओंकार तू

आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ

आयो शरण तिहारी शम्भू तार तार तू
भोले तार तार तू, तार तार तू
कैलाश के निवासी

क्या क्या नहीं दिया, हम क्या प्रमाण दे
बस गए त्रिलोक शम्भू तेरे दान से

ज़हर पिया, जीवन दिया
कितना उदार तू, कितना उदार तू,
कितना उदार तू

आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ

आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू
भोले तार तार तू, तार तार तू
कैलाश के निवासी

तेरी कृपा बिना न हींले एक भी अनु
लेते हैं स्वास तेरी दया से कनु कनु

कहे दास एक बार, मुझको निहार तू
मुझको निहार तू

आयो शरण तिहारी भोले तार तार तू
कैलाश के निवासी नमो बार बार हूँ,
नमो बार बार हूँ 


Kailash Ke Nivasi | Osman Mir | Bhajan | Talgajarda Kailash Ke Nivasi Namo Bar Bar Hu Shiv Bhajan by Osman Mir 

Singer: Osman Mir,
Tabla: Ayub Mir,
Rhythm: Yusuf Mir,
Keyboard: Ramiz Mir
Video : Osman Mir & Group ( www.osmanmir.com ) ,
Posted : Dua Infotech ( www.duainfotech.in )

कैलाश पर्वत के स्वामी को बार-बार नमन करते हुए शरणागत है, भोलेनाथ की कृपा से जीवन तार-तार हो जाता है। भक्तों को कभी निराश न करने वाले शिव का दायरा विशाल है, जो मांगी हर विनती पूरी कर देते हैं। भभूत के ढेर में कुबेर का खजाना छिपा है, गंगाधार और ओंकार रूप में मुक्ति का द्वार खुला रहता है।​

त्रिलोकी दान से भरी पड़ी है, जहर पीकर जीवन बांटने वाले कितने उदार हैं। कृपा के बिना एक अणु भी न हिले, सांसें दया से चलती हैं, बस एक नजर कर दो तो सब ठीक हो जाए। यह दानवीरता हमें सिखाती है कि समर्पण से हर संकट टल जाता है।

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