काशी वासी ओ अविनाशी तेरे दर पे आई हूँ
काशी वासी ओ अविनाशी तेरे दर पे आई हूँ ,
नहालें मेरे भोले जल हरिद्वार से लाइ हूँ,
काशी वासी ओ अविनाशी तेरे दर पे आई हूँ,
बड़ी तमाना थी बाबा कावड़ तेरा उठाऊ,
भोले तेरे द्वार पे जय जय करती आउ,
बड़ी किस्मत से ओ भोले तेरे दर पे आईहूँ,
नहालें मेरे भोले जल हरिद्वार से लाइ हूँ,
सावन का महीना बाबा छाई घटा मतवारी,
बम बम भोले नाथ की फूल रही फुलवाड़ी,
हरि नजारो का तेरी सौगात पाई हूँ,
नहालें मेरे भोले जल हरिद्वार से लाइ हूँ,
पाँव में चाहे छाले पड़ जाये मैं न देखु भोले,
दौड़ तेरे द्वार पे आई किरपा करदो भोले,
मैं पूजा तेरे चरणों में गीत गई हूँ,
नहालें मेरे भोले जल हरिद्वार से लाइ हूँ,
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