लम वम रम यम लिंगा भैरवी मंत्र अर्थ महत्त्व

लम वम रम यम लिंगा भैरवी मंत्र अर्थ महत्त्व

लिंग भैरवी मंत्र ("Lum Vum") - मनुष्य के में साढ़े तीन चक्रों की अभिव्यक्ति है जो हमारे स्वास्थ्य, कल्याण, स्थिरता और समृद्धि से संबंधित है। यह एक बीज मंत्र है जो शरीर और मन को शुद्ध तथा संतुलित करने के लिए चक्रों को जागृत करता है।
 
लम वम रम यम लिंगा भैरवी मंत्र हिंदी LUM VUM MOOLA MANTRA

लम वम रम यम लिंग भैरवी,
शिवात्रिनयणी रौद्रिणि,
यम अम श्री शक्ति ज्वालामुखी,
मुक्तिदायिनी लिंग भैरवी,
मूलाशक्ति उग्र रूपिणी, 
लम वम रम यम लिंग भैरवी,
शिवा स्वरूपी लिंग भैरवी,
स्वाधिष्ठाने कामवर्धिनी,
यम अम श्री शक्ति वीर्यसिद्धिनी,
इन्द्रिय शुद्धिनी लिंग भैरवी,
लम वम रम यम लिंग भैरवी,
मणिपुरवासिनी जीवपोषिणि ,
यम अम श्री शक्ति वृद्धिदायिनी ,
लोकारक्षिणी लिंग भैरवी,
अनाहतस्थळ सर्वलिंगिनी,
लम वम रम यम लिंग भैरवी।
यम अम श्रीशक्ति प्रीतदायकी,
शृष्टिकरथिनी लिंग भैरवी,
आगना स्थान शांतिदायिनी,
यम अम श्री शक्ति राग भस्मिनी,
लम वम रम यम लिंग भैरवी,
स्वप्न नाशिनी लिंग भैरवी,
गयानन्दिनी कांतिरूपिणी,
यम अम श्री शक्ति सूर यक्षिणी ,
अखिला नायकी लिंग भैरवी। 
Mantra:
"Lam Vam Ram Yam Ham Aum - Kalike - Aum Ham Yam Ram Vam Lam"
Muladhara -  Lam
Svadisthana - Vam
Manipura - Ram
Anahata - Yam
Visuddha - Ham
Ajna - Aum
These are mantras for each chakra.
Lam-frist chakra
Vam-second  chakra
Ram-third chakra
Yam-4th chakra
Ham-5th chakra
Aum-6th chakra 
In traditional Hatha Yoga, the 7 cleansing bija mantras associated with the chakras are:
“LAM”- chakra 1 (root); “Lam”
“VAM”- chakra 2 (sacral/[[navel); "Vam"
“RAM”- chakra 3 (solar plexus); “Ram”
“YAM”- chakra 4 (heart) ; “Yam”
“HAM”- chakra 5 (throat chakra); “Ham”
“OM”- chakra 6 (third eye/brow); “OM”
“OM”- chakra 7 (crown); “OM” 


LUM VUM MOOLA MANTRA BY SADHGURU Linga Bhairavi Devi
 
Lam Vam Ram Yam Ling Bhairavee,
Shivatrinayanee Raudrinee,
Yam Hoon Shreeshakti Jvaalaamukhee,
Muktidaayinee Ling Bhairavee,
Moolashakti Ugraroopinee,
Lam Vam Ram Yam Ling Bhairavee,
 
यह मंत्र, "लम वम रम यम लिंगा भैरवी", एक शक्तिशाली बीज मंत्र है जो मानव शरीर में मौजूद ऊर्जा चक्रों को जाग्रत करता है। ये चक्र हमारे स्वास्थ्य, कल्याण, स्थिरता और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस मंत्र का जप शरीर और मन को शुद्ध और संतुलित करने में मदद करता है। इसके साथ ही, अलग-अलग चक्रों के लिए विशिष्ट बीज मंत्र भी हैं जो उन ऊर्जा केंद्रों को सक्रिय करते हैं, जैसे: मूलाधार चक्र के लिए 'लम', स्वाधिष्ठान चक्र के लिए 'वम', मणिपुर चक्र के लिए 'रम', अनाहत चक्र के लिए 'यम', विशुद्धि चक्र के लिए 'हम', और आज्ञा व सहस्रार चक्र के लिए 'ॐ'। ये सभी मंत्र, अपनी ध्वनि कंपन के माध्यम से, शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को बढ़ाकर इंद्रियों और चेतना को शुद्ध करते हैं, जिससे आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। 
 
Lum vum rum yum Linga Bhairavi,
Shiva trinayani Roudrini,
Yum um Shri Shakti Jwalamukhi,
Mukthidayini Linga Bhairavi,
Moola Shakti Ugra Roopini.

भावार्थ:
हे लिंगा भैरवी! तुम मूलाधार में निवास करने वाली,
तीन नेत्रों वाली, रौद्र स्वरूपिणी हो।
तुम ही ज्वालामुखी जैसी तेजस्विनी, मुक्तिदायिनी,
और आदि शक्ति के उग्र रूप में प्रकट हो।

भाव: देवी यहाँ मूलाधार चक्र में स्थित शक्ति हैं —
जो स्थिरता, ऊर्जा और जीवन की आधारशक्ति का प्रतीक है।

२. स्वाधिष्ठान (Sacral Chakra)
Lum vum rum yum Linga Bhairavi,
Shivaaswaroopi Linga Bhairavi,
Swaadhishtaney Kaamavardhini,
Yum um Shri Shakti Veeryasidhini,
Indriya Shuddhini Linga Bhairavi.

हे लिंगा भैरवी! तुम शिवस्वरूपिणी हो,
स्वाधिष्ठान चक्र में कामशक्ति को दिव्यता में रूपांतरित करने वाली,
वीर्य की सिद्धिदात्री और इन्द्रियों को शुद्ध करने वाली हो।

भाव: देवी इस स्तर पर सृजनशक्ति और संवेदनशीलता को शुद्ध करती हैं।

मणिपूर (Navel Chakra)
Lum vum rum yum Linga Bhairavi,
Manipuravaasini Jeevaposhini,
Yum um Shri Shakti Vruddhidayini,
Lokarakshini Linga Bhairavi,
Anaahathasthala Sarvaalingini.

हे मणिपूर निवासिनी लिंगा भैरवी!
तुम जीवन का पोषण करने वाली,
विकास और सुरक्षा देने वाली,
और अनाहत स्थान में सर्वव्यापक देवी हो।

भाव: यह देवी की शक्ति आत्मबल, आत्मविश्वास और पोषण से संबंधित है।

अनाहत एवं आज्ञा (Heart & Brow Chakra)
Lum vum rum yum Linga Bhairavi,
Yum um Shri Shakti Preethadayaki,
Shristikarthini Linga Bhairavi,
Aagnaasthaana Shantidayini,
Yum um Shri Shakti Raagabhasmini.

हे लिंगा भैरवी! तुम प्रेम की दायिनी हो,
सृष्टि की कर्त्री हो, आज्ञा स्थान में शांति प्रदान करने वाली हो,
और राग व आसक्ति को भस्म करने वाली शक्ति हो।

भाव: यह भाग देवी के प्रेम, करुणा और ध्यान की अवस्था को दर्शाता है।

सहस्रार एवं दिव्य रूप (Crown & Transcendental)
Lum vum rum yum Linga Bhairavi,
Swapnanaashini Linga Bhairavi,
Gayaanandhini Kaanthiroopini,
Yum um Shri Shakti Shoorayakshini,
Akhila Naayaki Linga Bhairavi.

हे लिंगा भैरवी!
तुम सब स्वप्नों का नाश करने वाली,
ज्ञान और आनंद देने वाली,
तेजस्विनी और सबका संचालन करने वाली सर्वनायिका हो।

भाव: यह देवी का परम रूप है — जो माया और अज्ञान को नष्ट करके
साधक को परम ज्ञान और मुक्ति की ओर ले जाती है।

यह स्तोत्र शक्ति के प्रत्येक चक्र में भैरवी के विभिन्न रूपों का आवाहन है —
मूलाधार: स्थिरता और आधार
स्वाधिष्ठान: शुद्ध सृजन
मणिपूर: आत्मबल और ऊर्जा
अनाहत: प्रेम और करुणा
आज्ञा: ज्ञान और शांति
सहस्रार: पूर्ण एकत्व 

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