बिगड़े काम बनाये प्रभु जी , भक्त भजे हरी का नाम,
करलो करलो चारो धाम मिलेंगे कृष्ण मिलेंगे राम,
जगन्नाथ का धाम बसा , पूरव में सागर तट पर,
स्वयं कृष्णा की दीक्षा से यह मंदिर बना मनोहर,
कृष्णा और बलराम , सुभद्रा की झांकी अति सुन्दर,
मिलकर सबकी चित्ते देवरथ , श्रद्धा से नारिहर,
माथे धूल चढ़ाओ , इस धरती को करो प्रणाम,
पक्षिम तट की पूरी द्वारका , बानी स्वर्ग का द्वार,
करलो करलो चारो धाम मिलेंगे कृष्ण , मिलेंगे राम .गोविन्द जय जय ,
गोपाल जय जय , गोविन्द जय जय गोपाल जय जय,
करलो करलो चारो धाम , मिलेंगे कृष्ण मिलेंगे राम,
रचना है यह लीला घर की , यह लीला का है विस्तार,
बंशी - चक्र सुदर्शन , जिसके दोनों है सिंगा,
जिसकी गीता का आभारी है सारा संसार,
धरती को यह स्वर्ग बनाते , मिलकर चारो धाम,
करलो करलो चारो धाम , मिलेंगे कृष्ण,
मिलेंगे राम . करलो करलो चारो धाम मिलेंगे कृष्ण मिलेंगे राम,
जीवन सफल उसी का समझो जिसने किया यह धाम,
करलो करलो चारो धाम मिलेंगे कृष्ण मिलेंगे राम,