मन मस्त हुआ क्या बोले लिरिक्स Man Mast Hua Kya Bole Lyrics Kabir Das Bhajan in Hindi

मन मस्त हुआ क्या बोले लिरिक्स Man Mast Hua Kya Bole Lyrics Kabir Das Bhajan in Hindi

 
मन मस्त हुआ क्या बोले लिरिक्स Man Mast Hua Kya Bole Lyrics Kabir Das Bhajan in Hindi

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
क्या बोले फिर क्योँ बोले

हीरा पाया बांध गठरिया
हे बार बार वाको क्यों खोले
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
क्या बोले फिर क्योँ बोले

हलकी थी. जब चढ़ी तराजू
हे पूरी भई तब क्या तोलै
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
क्या बोले फिर क्योँ बोले

हंसा पावे मानसरोवर
हे ताल तलैया में क्यों डोले
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
क्या बोले फिर क्योँ बोले

तेरा साहब है घर माँहीं
हे बाहर नैना क्यों खोलै
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
क्या बोले फिर क्योँ बोले

कहै कबीर सुनो भाई साधो
हे साहिब मिल गया तिल ओले
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले
क्या बोले फिर क्योँ बोले
 


मन मस्त हुआ क्या बोले लिरिक्स Man Mast Hua Kya Bole Lyrics Kabir Das Bhajan in Hindi
Man Mast Hua Phir Kya Bole
Kya Bole Phir Kyon Bole

Heera Paaya Baandh Gathariya
He Baar Baar Vaako Kyon Khole
Man Mast Hua Phir Kya Bole
Kya Bole Phir Kyon Bole

Halakee Thee. Jab Chadhee Taraajoo
He Pooree Bhee Tab Kya Tolai
Man Mast Hua Phir Kya Bole
Kya Bole Phir Kyon Bole

Hansa Paave Maanasarovar
He Taal Talaiya Mein Kyon Dole
Man Mast Hua Phir Kya Bole
Kya Bole Phir Kyon Bole

Tera Saahab Hai Ghar Maanheen
He Baahar Naina Kyon Kholai
Man Mast Hua Phir Kya Bole
Kya Bole Phir Kyon Bole

Kahai Kabeer Suno Bhaee Saadho
He Saahib Mil Gaya Til Ole
Man Mast Hua Phir Kya Bole
Kya Bole Phir Kyon Bole

यह भजन मन के अहंकार और भ्रम का वर्णन करता है। भजन की शुरुआत में, भक्त अपने मन की तुलना एक हीरे से करता है। वह कहता है कि जब वह अपने मन को पा लेता है, तो वह उसे गठरी में बांध लेता है। इसका मतलब है कि वह अपने मन को नियंत्रित करने की कोशिश करता है।

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