मन रे परस हरि के चरन लिरिक्स Man Re Paras Hari Ke Charan Lyrics
मन रे परस हरि के चरन।
सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध - ज्वाला- हरन।
जो चरन प्रह्मलाद परसे इंद्र- पद्वी- हान।।
जिन चरन ध्रुव अटल कींन्हों राखि अपनी सरन।
जिन चरन ब्राह्मांड मेंथ्यों नखसिखौ श्री भरन।।
जिन चरन प्रभु परस लनिहों तरी गौतम धरनि।
जिन चरन धरथो गोबरधन गरब- मधवा- हरन।।
दास मीरा लाल गिरधर आजम तारन तरन।।
सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध - ज्वाला- हरन।
जो चरन प्रह्मलाद परसे इंद्र- पद्वी- हान।।
जिन चरन ध्रुव अटल कींन्हों राखि अपनी सरन।
जिन चरन ब्राह्मांड मेंथ्यों नखसिखौ श्री भरन।।
जिन चरन प्रभु परस लनिहों तरी गौतम धरनि।
जिन चरन धरथो गोबरधन गरब- मधवा- हरन।।
दास मीरा लाल गिरधर आजम तारन तरन।।
Man Re Paras Hari Ke Charan
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
- तेरो कोई न रोकण हार लिरिक्स Tero Koi Na Rokan Haar Lyrics Meera Baai Ke Bhajan
- सहेलियां साजन घर आया हो लिरिक्स Saheliya Sajan Ghar Aaya Ho Meera Bhajan Lyrics
- पायो जी म्हें तो राम रतन धन पायो लिरिक्स Payo Ji Mhe To Ram Ratan Dhan Payo Lyrics
- तोसों लाग्यो नेह रे प्यारे नागर नंद कुमार लिरिक्स Tosyo Lagyo Neh Re Pyare Meera Bhajan Lyrics
- सखी आपनो दाम खोटो दोस काहां कुबज्याकू लिरिक्स Sakhi Aapno Daam Khoto Lyrics
- पग घूँघरू बाँध मीरा नाची रे लिरिक्स Pag Ghunghru Baandh Meera Naachi Re Lyrics