मन रे परस हरि के चरन लिरिक्स Man Re Paras Hari Ke Charan Lyrics

मन रे परस हरि के चरन लिरिक्स Man Re Paras Hari Ke Charan Lyrics

 
मन रे परस हरि के चरन लिरिक्स Man Re Paras Hari Ke Charan Lyrics

मन रे परस हरि के चरन।
सुभग सीतल कमल- कोमल त्रिविध - ज्वाला- हरन।
जो चरन प्रह्मलाद परसे इंद्र- पद्वी- हान।।
जिन चरन ध्रुव अटल कींन्हों राखि अपनी सरन।
जिन चरन ब्राह्मांड मेंथ्यों नखसिखौ श्री भरन।।
जिन चरन प्रभु परस लनिहों तरी गौतम धरनि।
जिन चरन धरथो गोबरधन गरब- मधवा- हरन।।
दास मीरा लाल गिरधर आजम तारन तरन।।
 
 
Man Re Paras Hari Ke Charan

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