सेज सुख मणा जीरा सोवे सुभ है आज धरी तुम जाओ राणा घर अपणे मेरी तेरी न सरी मगन होय मीरा चली
तेरो कोई न रोकण हार, मगन होय मीरा चली। हे प्रभु! अब कोई भी मुझे रोक नहीं सकता, मीरा मगन होकर चली।
लाज शर्म कुल की मर्यादा, सिर सों दूर करी। सामाजिक लाज, शर्म और कुल की मर्यादा को सिर से दूर कर दिया।
मान अपमान दोऊ धर पटके, निकसी हूं ग्यान गली। सम्मान और अपमान दोनों को छोड़कर, ज्ञान की गली में चली।
ऊंची अटरिया ताल किवड़िया, निर्गुण सेज बिछी। ऊँची अटारी, ताल की किवाड़ियाँ, निर्गुण (साकार से परे) की सेज बिछी।
Desi Bhajan,Meera Bai Padawali Hindi Lyrics
पंचरंगी सेज झालर सुभा सोहे, फूलन फूल कली। पाँच रंगों की झालर से सजी सेज, सुंदरता से फूलों और कलियों जैसी दिखती है।
सेज सुख मणा जीरा सोवे, सुभ है आज घड़ी। सेज पर सुखमना जीरा सो रहा है, आज का समय शुभ है।
तुम जाओ राणा घर अपने, मेरी तेरी न सरी। तुम अपने घर राणा जाओ, मेरी और तुम्हारी कोई तुलना नहीं।
बाजूबंद कडूला सोहे सिंदूर मांग भरी। सुमिरण थाल हाथ में लीन्हों सोभा अधिक खरी।। सेज सुखमणा मीरा सेहै सुभ है आज घरी। तुम जा राणा घर आपणे मेरी थांरी नाहिं सरी। मीरा बाई ने लिखा की यदि उनकी भक्ति में कोई बाधक बनता है वे समस्त मान्यताओं का विरोध करती हुयी कृष्ण भक्ति ही करेंग।