मेरी सुरति सुहागन जाग री लिरिक्स Meri Surti Suhagan Jaag Ree Lyrics Hari Om Sharan

मेरी सुरति सुहागन जाग री लिरिक्स Meri Surti Suhagan Jaag Ree Lyrics Hari Om Sharan Bhajan Lyrics

 
मेरी सुरति सुहागन जाग री लिरिक्स Meri Surti Suhagan Jaag Ree Lyrics Hari Om Sharan Bhajan Lyrics

मेरी सुरति सुहागन जाग री,
मेरी सुरति सुहागन जाग री

क्या तू सोवे मोहिनी नींद में
उठ के भजन विच लाग री
मेरी सुरति सुहागन जाग री
मेरी सुरति सुहागन जाग री

अनहद शब्द सुनो चित देके
उठत मधुर धुन राग री
मेरी सुरति सुहागन जाग री
मेरी सुरति सुहागन जाग री

चरण शीश धार विनती करियो
पाएगी अटल सुहाग री
मेरी सुरति सुहागन जाग री
मेरी सुरति सुहागन जाग री

कहत कबीरा सुनो भाई साधो
जगत प्रीत दे भाग री
मेरी सुरति सुहागन जाग री
मेरी सुरति सुहागन जाग री
 

मेरी सूरत सुहागन जाग री Meree Surati Suhaagan Jaag Ree,Meree Surati Suhaagan Jaag Ree

Kya Too Sove Mohinee Neend Mein
Uth Ke Bhajan Vich Laag Ree
Meree Surati Suhaagan Jaag Ree
Meree Surati Suhaagan Jaag Ree

Anahad Shabd Suno Chit Deke
Uthat Madhur Dhun Raag Ree
Meree Surati Suhaagan Jaag Ree
Meree Surati Suhaagan Jaag Ree

Charan Sheesh Dhaar Vinatee Kariyo
Paegee Atal Suhaag Ree
Meree Surati Suhaagan Jaag Ree
Meree Surati Suhaagan Jaag Ree

Kahat Kabeera Suno Bhaee Saadho
Jagat Preet De Bhaag Ree
Meree Surati Suhaagan Jaag Ree
Meree Surati Suhaagan Jaag Ree

यह भजन संत कबीर दास जी द्वारा रचित है। इस भजन में संत कबीर दास जी भक्त को सांसारिक मोह माया से मुक्त होने और ईश्वर की प्राप्ति के लिए प्रेरित करते हैं। वे कहते हैं कि मनुष्य का मन मोह माया में सोया हुआ है। उसे इस मोह माया से जागना चाहिए और ईश्वर की भक्ति में लगना चाहिए।

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