यह भजन संत कबीर दास जी द्वारा रचित है। इस भजन में संत कबीर दास जी भक्त को सांसारिक मोह माया से मुक्त होने और ईश्वर की प्राप्ति के लिए प्रेरित करते हैं। वे कहते हैं कि मनुष्य का मन मोह माया में सोया हुआ है। उसे इस मोह माया से जागना चाहिए और ईश्वर की भक्ति में लगना चाहिए।