हम करें राष्ट आराधना तन से मन से धन

हम करें राष्ट आराधना तन से मन से धन से

भारत माँ की जय हो, भारत माँ की जय हो...

वंदन है माँ भारती, धन्य-धन्य माँ भारती,
देव-मुनि-जन मिलकर सारे, रोज करें तेरी आरती।।
धरती नहीं, ये माँ है, हम सबकी ये जान है,
इसकी सदा ही जय हो, इसकी सदा ही जय हो,
भारत माँ की जय हो...

इतिहास के पन्नों पर, गौरव गाथा इसकी है,
इस जैसी पावन भूमि, और कहो ज़रा किसकी है?
ऋषियों की ये धरा है, त्याग यहाँ पे भरा है,
इसकी सदा ही जय हो, इसकी सदा ही जय हो,
भारत माँ की जय हो...

धरती है ये वीर शिवा की, राणा जैसे वीरों की,
धर्म पे शीश लुटाने वाले, वीरों की, रणधीरों की।।
ये प्रेम नहीं तो क्या है, वीरों का रक्त बहा है,
इसकी सदा ही जय हो,
भारत माँ की जय हो...

लाखों वीरों ने देश पर, दी अपनी कुर्बानी है,
जो देश के काम न आए, खून नहीं वो पानी है।।
आओ हम मिल जाएँ सब, इसका वंदन गाएँ,
इसकी सदा ही जय हो,
भारत माँ की जय हो...
 
यह भजन भारत माँ की महिमा, उसके गौरवशाली इतिहास और वीरों के बलिदान को दर्शाता है। माँ भारती की आराधना करते हुए, इसमें उस पवित्र भूमि की महत्ता को बताया गया है, जहाँ ऋषियों ने ज्ञान का प्रकाश फैलाया और वीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। छत्रपति शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं ने धर्म और स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। लाखों वीर सैनिकों ने इस धरती की रक्षा के लिए कुर्बानियाँ दीं, और उन्हीं की वीरता के कारण भारत आज भी गौरव से खड़ा है। यह भजन हर भारतीय को अपने देश के प्रति प्रेम और सम्मान से भर देता है।


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