अनूप जलोटा भजन रे मन हरी सुमिरन कर लीजे लिरिक्स Anup Jalota Bhajan Re Man Hari Sumiran Kar Lije Lyrics

रे मन हरी सुमिरन कर लीजे लिरिक्स Anup Jalota Bhajan Re Man Hari Sumiran Kar Lije Lyrics

 
रे मन हरी सुमिरन कर लीजे लिरिक्स Anup Jalota Bhajan Re Man Hari Sumiran Kar Lije Lyrics

रे मन हरी सुमिरन कर लीजे
हरी सुमिरन कर लीजे
रे मन हरी सुमिरन कर लीजे
हरी को नाम प्रेम सु जपिए
हरी रस रसना पीजे
हरी गुण गाइए निरंतर
हरी चरनन चित्त दीजे
रे मन हरी सुमिरन कर लीजे
रे मन हरी सुमिरन कर लीजे
हरी भक्तन की शरण ग्रहण करी
हरी संग प्रीत करिजे
हरी सम हरिजन
समुजी मन
तिनको सेवन कीजे
रे मन हरी सुमिरन कर लीजे
रे मन हरी सुमिरन कर लीजे
हरी कही विधि सो हमसो रीझे
सो ही प्रश्न करिजे
हरिजन हरी मार्ग पर ही चाले
अनुमति देहि सो कीजे
रे मन हरी सुमिरन कर लीजे
रे मन हरी सुमिरन कर लीजे

Hari Sumiran-Anup Jalota

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