कब है गणेश चतुर्थी : इस वर्ष श्री गणेश चतुर्थी 2 सितंबर सोमवार के दिन पर आ रही है जिसका सभी बहुत इन्तजार है। गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त के बारे में तो 2 सितंबर के दिन मध्याह्न गणेश पूजा सुबह 11 बजे से दोपहर 1:41 के तक रहेगा
गणेश चतुर्थी क्या है
Why do we celebrate Ganesh Chaturthi : गणेश चतुर्थी भगवान् शिव और पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्री गणेश जी को रिधि सिद्धि और शुभ कार्यों के आव्हान के लिए जाना जाता है। श्री गणेश जी के जन्म के विषय में प्रमुख रूप से दो मान्यताये हैं, जिनमे से प्रथम है की माता पार्वती जी ने एक बार स्नान के दौरान अपने शरीर पर लगी मिटटी से गणेश जी का निर्माण किया ताकि उन्हें पहरेदार रखकर वे स्नान कर सके। जब शिव आये तो गणेश जी ने उनको जाने की अनुमति नहीं दी। इस पर शिव क्रोधित हो गए और बालक गणेश जी का सर धड ले अलग कर दिया। पार्वती माता को जब इसका पता चला तो वो भी क्रोधित हो गयी और उन्होंने शिव को चेतावनी दी की उनका पुत्र हर अवस्था में जीवित होना चाहिए। श्री शिव बालक गणेश के मस्तक की खोज में निकल पड़े और आगे चलकर उन्हें एक हाथी के बच्चे का मस्तक मिला जिसे उन्होंने श्री गणेश जी के धड पर लगाकर उन्हें जीवित किया। इसीलिए श्री गणेश जी को एलीफैंट हेडेड गोड के नाम से जाना जाता है। दूसरी मान्यता के अनुसार श्री गणेश जी का निर्माण स्वंय श्री शिव और पार्वती जी ने समस्त देवों की प्राथना के उपरान्त किया जिसमे उन्होंने ऐसे देव की रचना करने का आग्रह किया था जो की समस्त बाधाओं को दूर करने वाला हो और मंगल कारक हो।
गणेश चतुर्थी की पूजा कैसे करें How Ganesh Chaturthi Should Be worshipped : श्री गणेश जी के भक्तों को पुरे वर्ष से गणेश चतुर्थी का इन्तजार रहता है और गणेश चतुर्थी को बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी की पूजा का अपना महत्त्व होता है इसलिए श्री गणेश जी की पूजा को पुरे विधि विधान और शास्त्र सम्मत तरीके से किया जाना चाहिए। श्री गणेश जी की पूजा से घर में सम्पन्नता आती है और सभी मांगलिक कार्य निर्विवाद रूप से पूर्ण होते हैं। अगरबत्ती और धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्ते और मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन के लिए अलग से कपड़ा और चंदन, लाल फूल, दूर्वा, मोदक, नारियल, लाल चंदन, धूप और अगरबत्ती आदि को पूजा के लिए रखे।
श्री गणेश जी को गणेश चतुर्थी के लिए लायी जाने वाली मूर्ति को कपडे से ढककरके घर में लाना शुभ माना जाता है और इस कपडे को पूजा के दिन ही हटाना चाहिए तथा पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त शुभ होता है। ब्रह्म मुहूर्त में शुद्ध होने के उपरांत गणेश चतुर्थी की पूजा करने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है। गणपति पूजा के लिए सर्वप्रथम मंत्र ' ऊं गं गणपतये नम:' का जाप करें और पूजा की थाली में अगरबत्ती या धुप को जलाये। इसके उपरान्त श्री गणेश चतुर्थी के पावन दिवस पर श्री गणेश जी को पंचामृत से स्नान करवाएं।
श्री गणेश जी को पंचामृत से स्नान के उपरान्त इन्हें केसरिया चन्दन अर्पित किया जाना चाहिए । इसके बाद आप श्री गणेश जी की आरती का जाप करें और अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा करें। श्री गणेश जी को मोदक का लड्डू अर्पित किये जाने चाहिए। श्री गणेश चतुर्थी के रोज श्री गणेश जी अपने भक्तो के कल्याण के लिए विशेष रूप से कृपा करते हैं, इसलिए आप श्री गणेश जी की पूजा इस रोज पुरे विधि विधान से करें तो लाभ अवश्य ही प्राप्त होगा ।