सुनले बाबा बात मेरी कानो में तेरे पड़ जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
श्याम प्रभु तेरे प्रेमियों का हम करते समान है,
पर विस्तार हो मंदिर का हम सब का ये अरमान है,
ऐसे हो दर्शन के हर एक प्रेमी खुश हो कर जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
तू भी देख सके हमको और हम भी तुझको देख सके,
इतना बड़ा हो मंद के हम झुक के माथा टेक सके,
ले फटकारा मोर छड़ी का बात हमारी बन जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
आओ मिल कर कदम बढ़ाये ले जैकारा श्याम का,
राज जो इतना कर न सके तो प्रेमी किस काम का,
क्या कुछ ना हो सकता अगर ये प्रेमी ज़िद पर अड़ जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
श्याम प्रभु तेरे प्रेमियों का हम करते समान है,
पर विस्तार हो मंदिर का हम सब का ये अरमान है,
ऐसे हो दर्शन के हर एक प्रेमी खुश हो कर जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
तू भी देख सके हमको और हम भी तुझको देख सके,
इतना बड़ा हो मंद के हम झुक के माथा टेक सके,
ले फटकारा मोर छड़ी का बात हमारी बन जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
आओ मिल कर कदम बढ़ाये ले जैकारा श्याम का,
राज जो इतना कर न सके तो प्रेमी किस काम का,
क्या कुछ ना हो सकता अगर ये प्रेमी ज़िद पर अड़ जाये,
कैसा हो अगर मंदिर तेरा थोड़ा सा बढ़ जाये,
Sunle Baba Baat Meri I By Raj Pareek
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