तुम जगत की ज्योति हो Tum Jagat Ki Jyoti Ho Tum Dhara Ke Namak

तुम जगत की ज्योति हो Tum Jagat Ki Jyoti Ho Tum Dhara Ke Namak Bhi Ho

 
तुम जगत की ज्योति हो लिरिक्स Tum Jagat Ki Jyoti Ho Tum Dhara Ke Namak Bhi Ho Lyrics

तुम जगत की ज्योति हो
तुम धरा के नमक भी हो

तुमको पैदा इसलिये किया
तुमको जीवन इसलिये मिला
उसकी मर्ज़ी कर सको सदा
तुम जगत की ज्योति हो

वो नगर जो बसे शिखर पर
छिपता ही नहीं, किसी की नज़र
तुम्हारे भले काम
चमके इस तरह
तुम जगत की ज्योति हो

पड़ोसी से प्रेम, तुमने सुना है
दुश्मनों से प्रेम मेरा कहना है
तब ही तुम संतान
परमेश्वर समान,
तुम जगत की ज्योति हो

आँख के बदले आँख, बुराई का सामना है
फेरो दूसरा गाल, सह लो सब अन्याय
ऐसा जीवन ही
पिता को भाता है,
तुम जगत की ज्योति हो
 

Tum jagat ki jyoti ho, tum dhara ke namak bhi ho - तुम जगत की ज्योति हो, तुम धरा के नमक भी हो
 
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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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