तू जो छू जाए इस मिटटी को यह मिटटी कुंदन
तू जो छू जाए इस मिटटी को
यह मिटटी कुंदन हो जाए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
तू जो छू जाए इस मिटटी को
यह मिटटी कुंदन हो जाए
यह मिटटी कुंदन हो जाए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
तू जो छू जाए इस मिटटी को
यह मिटटी कुंदन हो जाए
तुफानो की हस्ती है क्या
जब ज़िंदा चट्टान पर हो आँखे
अंगूर के पेड़ से पेवस्ता
हर डाली सावन हो जाए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
तेरे लख्ते जिगर ने पाक खुदा
भक्ते इंसान बदल डाला
ईमान जो लाये यशु पर
अंबर भी धड़कन हो जाए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
दुनिया छोड़ छोड़े साथी
मिटटी का खिलौना है इंसान
गर हाथ में हाथ हो यशु का
वह मौत भी जीवन हो याए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
तू जो छू जाए इस मिटटी को
यह मिटटी कुंदन हो जाए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
जब ज़िंदा चट्टान पर हो आँखे
अंगूर के पेड़ से पेवस्ता
हर डाली सावन हो जाए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
तेरे लख्ते जिगर ने पाक खुदा
भक्ते इंसान बदल डाला
ईमान जो लाये यशु पर
अंबर भी धड़कन हो जाए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
दुनिया छोड़ छोड़े साथी
मिटटी का खिलौना है इंसान
गर हाथ में हाथ हो यशु का
वह मौत भी जीवन हो याए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
तू जो छू जाए इस मिटटी को
यह मिटटी कुंदन हो जाए
कुम्हार बने जिस बर्तन का
वह बर्तन दर्पण हो जाए
यशु यशु
Tu jo chhu jaye by P.Ernest Mall with Lyrics.flv
यह एक हिंदी ईसाई भक्ति गीत है जो यीशु मसीह की शक्ति और प्रेम की स्तुति करता है। गीत का पहला छंद कहता है कि जब यीशु किसी व्यक्ति को छूते हैं, तो वह व्यक्ति बदल जाता है। जैसे एक कुम्हार मिट्टी को एक सुंदर बर्तन में बदल देता है, वैसे ही यीशु किसी व्यक्ति को एक बेहतर इंसान में बदल देते हैं।
यीशु मसीह की कृपा ऐसी है कि उनकी एक छुअन से मिट्टी भी सोने-सी चमक उठती है। जैसे कुम्हार मिट्टी को गढ़कर बर्तन बनाता है, वैसे ही उनकी दया इंसान के जीवन को दर्पण-सा निर्मल और सुंदर बना देती है। ये विश्वास की ताकत है, जो हर साधारण को असाधारण कर देती है।
तूफानों का क्या डर, जब यीशु जैसी अटल चट्टान साथ हो? उनकी शरण में आंखें उठाओ, तो हर मुश्किल पल में सावन-सी हरियाली छा जाती है। जैसे अंगूर की बेल अपनी डालियों को फल देती है, वैसे ही उनकी कृपा से जीवन फलने-फूलने लगता है। उनका प्रेम इंसान को बदल देता है। जो सच्चे दिल से उन पर ईमान लाता है, उसका मन ऐसा साफ हो जाता है, जैसे आकाश भी उसकी धड़कनों में बस जाए। ये प्रेम वो शक्ति है, जो हर भक्त को नया जीवन देती है।
दुनिया और उसके साथी भले छूट जाएं, इंसान तो बस मिट्टी का खिलौना है। लेकिन जब यीशु का हाथ थाम लिया जाए, तो मौत भी जीवन का रंग ले लेती है। जैसे कोई टूटा बर्तन कुम्हार के हाथों में नया रूप पा ले, वैसे ही उनकी कृपा से हर दुख सुख में बदल जाता है। जीवन का सच यही है कि यीशु की छुअन से हर मन पवित्र हो जाता है। बस उनके नाम को दिल से पुकारो, तो मिट्टी का ये जीवन कुंदन की तरह जगमगा उठता है। जैसे कोई दीया अंधेरे में रोशनी बिखेरे, वैसे ही उनकी भक्ति मन को उजाला देती है।
तूफानों का क्या डर, जब यीशु जैसी अटल चट्टान साथ हो? उनकी शरण में आंखें उठाओ, तो हर मुश्किल पल में सावन-सी हरियाली छा जाती है। जैसे अंगूर की बेल अपनी डालियों को फल देती है, वैसे ही उनकी कृपा से जीवन फलने-फूलने लगता है। उनका प्रेम इंसान को बदल देता है। जो सच्चे दिल से उन पर ईमान लाता है, उसका मन ऐसा साफ हो जाता है, जैसे आकाश भी उसकी धड़कनों में बस जाए। ये प्रेम वो शक्ति है, जो हर भक्त को नया जीवन देती है।
दुनिया और उसके साथी भले छूट जाएं, इंसान तो बस मिट्टी का खिलौना है। लेकिन जब यीशु का हाथ थाम लिया जाए, तो मौत भी जीवन का रंग ले लेती है। जैसे कोई टूटा बर्तन कुम्हार के हाथों में नया रूप पा ले, वैसे ही उनकी कृपा से हर दुख सुख में बदल जाता है। जीवन का सच यही है कि यीशु की छुअन से हर मन पवित्र हो जाता है। बस उनके नाम को दिल से पुकारो, तो मिट्टी का ये जीवन कुंदन की तरह जगमगा उठता है। जैसे कोई दीया अंधेरे में रोशनी बिखेरे, वैसे ही उनकी भक्ति मन को उजाला देती है।
भजन की पहली और सबसे महत्वपूर्ण पंक्ति है, "तू जो छू जाए इस मिटटी को, यह मिटटी कुंदन हो जाए।" यहाँ "मिटटी" हमारे नश्वर शरीर और अपूर्ण जीवन का प्रतीक है। "कुंदन" शुद्ध सोना होता है। यह पंक्ति बताती है कि जब यीशु हमें छूते हैं, यानी जब हम उनकी कृपा और प्रेम को स्वीकार करते हैं, तो हमारा अपूर्ण जीवन शुद्ध और मूल्यवान बन जाता है।
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