मैया के दर दौड़ आया भजन

मैया के दर दौड़ आया भजन

(मुखड़ा)
धन, माया, महल, अटारी,
सखा, बंधु, सुत, नारी,
सब छोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया,
सब छोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया।।

(अंतरा)
माँ को शेरावाली कहते हैं,
कोई माता काली कहते हैं,
माँ के द्वारे ज्योत अखंड जले,
सब ज्योतावाली कहते हैं,
मैया, तेरा नाम जपना,
भक्तों में नाम अपना,
मैं जोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया।।

हर घर-घर में, हर मंदिर में,
मेला लगता नवरात्रों में,
माँ के नौ दिन मैंने उपवास किए,
मैं रोज़ गया जगरात्रों में,
मैया बैठी ओढ़े चुनरी,
मेरी रातें कब गुजरी,
कब भोर आया,
मैया के दर दौड़ आया।।

सुर, नर, मुनि माँ को ध्याते हैं,
ब्रह्मा, विष्णु गुण गाते हैं,
शिव शंकर माँ का ध्यान करें,
यह वेद "पदम" बतलाते हैं,
माँ की चौखट मेरी मंज़िल,
लाया था एक नारियल,
वहीं फोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया।।

(पुनरावृत्ति)
धन, माया, महल, अटारी,
सखा, बंधु, सुत, नारी,
सब छोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया,
सब छोड़ आया,
मैया के दर दौड़ आया।।


dhan Maya Mahal Atari,sakha vandhu sut nari

तर्ज: मैं निकला गड्डी लेके
फिल्म: ग़दर

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