जावो नुगरी काया थारो काई गुण गावा थारो काई जस गावा महल बनाया हंसा रह नहीं पाया काई गुण गावा अब थारो काई जस गावा महल बनाया हंसा रहबा नहीं पाया
काठी लेना कास बाँध लेना कटिया अरे हा रे हा रे सोना हंदा महल रूपा हंदा कठे तो गयो इन नगरी को राजा काई गुण गावा अब थारो काई जस गावा महल बनाया हंसा रहबा नहीं पाया काई गुण गावा अब थारो काई जस गावा महल बनाया हंसा रहबा नहीं पाया
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi,Prahlad Singh Tipaniya Bhajan Lyrics in Hindi
बालू की भींत अटारी का चढ़ना हां रे हा ओछे से प्रीत कटारी का मरना जाओ नुगरी काया थारो काई गुण गावा काई गुण गावा अब थारो काई जस गावा महल बनाया हंसा रहबा नहीं पाया
गादी गलीचा धरा महल में एक दिन जलेगा काया
लकड़ी के संग में जाओ नुगरी काया थारो काई गुण गावा काई गुण गावा अब थारो काई जस गावा महल बनाया हंसा रहबा नहीं पाया
कहे हो कबीरा साहेब जुग जुग जीवना इन ममता ने मार न भसम कर पीवना थारो काई गुण गावा काई गुण गावा अब थारो काई जस गावा महल बनाया हंसा रहबा नहीं पाया
Kabir bhajan :- महल बनाया हंसा रह नही पाया,,, by prahlad singh tipaniya
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