थारा भरया समद मा हीरा भजन

थारा भरया समद मा हीरा भजन

 
थारा भरया समद मा हीरा  Thaara Bharya Samand Ma Heera Lyrics

कबीर गुदड़ी बीखरी, सौदा गया बिकाए
खोटा बांधा गांठरी, खरा लिया नहीं जाए
कठिन कबाण कबीर की, धरी रहे मैदान
कितने ही योद्धा पच गये, कोई खैंचे संत सुजान
मैं मरजीवा समुंद का, डुबकी मारी एक
मुट्ठी लाया ज्ञान की, तामे वस्तू अनेक
डुबकी मारी समुंद में, जां निकसा आकास
गगन मंडल में घर किया, वहां हीरा पाया दास
हरि हीरा जन जोहरी, ले ले मांडी हाट
ऐसे मिले कोई पारखी, तब हीरों की सांत
थारा भरया समंद मांई हीरा, मरजीवाला लाविया
थारा घट मांही ज्ञान का जंजीरा, साहिब सुलझाविया
यो मन लोभी लालची रे
यो मन कालू कीर
भरम की जाल चलावे रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा
बांगा जो बांगा कोयल बोले रे
बन मांही बोल्या रे रूड़ा मोर
सावन वाली लहरां भी आवे रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा
घास फूस सब जली गया रे
रही गयी सावन वाली तीज
कोई तो दिन उलट आवे रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा
गोला छूटिया है गुरु ज्ञान का रे
कायर भाग्यो रे भाग्यो जाए
सूरमा सनमुख रहना रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा
गुरु रामानंद की फ़ौज में रे
सनमुख लड़े रे कबीर
शबद का बाण चला
या रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा 
 

थारा भरया समद मा हीरा Thaara Bharya Samand Ma Heera कबीर भजन प्रहलाद सिंह टिपानिया

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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