खोटा बांधा गांठरी, खरा लिया नहीं जाए
कठिन कबाण कबीर की, धरी रहे मैदान
कितने ही योद्धा पच गये, कोई खैंचे संत सुजान
मैं मरजीवा समुंद का, डुबकी मारी एक
मुट्ठी लाया ज्ञान की, तामे वस्तू अनेक
डुबकी मारी समुंद में, जां निकसा आकास
गगन मंडल में घर किया, वहां हीरा पाया दास
हरि हीरा जन जोहरी, ले ले मांडी हाट
ऐसे मिले कोई पारखी, तब हीरों की सांत
थारा भरया समंद मांई हीरा, मरजीवाला लाविया
थारा घट मांही ज्ञान का जंजीरा, साहिब सुलझाविया
Kabir Bhajan Lyrics in Hindi,Prahlad Singh Tipaniya Bhajan Lyrics in Hindi
यो मन लोभी लालची रे
यो मन कालू कीर
भरम की जाल चलावे रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा
बांगा जो बांगा कोयल बोले रे
बन मांही बोल्या रे रूड़ा मोर
सावन वाली लहरां भी आवे रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा
घास फूस सब जली गया रे
रही गयी सावन वाली तीज
कोई तो दिन उलट आवे रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा
गोला छूटिया है गुरु ज्ञान का रे
कायर भाग्यो रे भाग्यो जाए
सूरमा सनमुख रहना रे हां
थारा भरया समंद मांई हीरा
गुरु रामानंद की फ़ौज में रे
सनमुख लड़े रे कबीर
शबद का बाण चलाया रे हां थारा भरया समंद मांई हीरा
थारा भरया समद मा हीरा Thaara Bharya Samand Ma Heera कबीर भजन प्रहलाद सिंह टिपानिया
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