प्रेम ना बड़ी उपजे प्रेम ना हाट बिकाय बिना प्रेम का मानवा बंधिया जम पुर जाय जा घट प्रेम ना संचरे जा घट जान मसान जैसे खाल लोहार की वो स्वास लेत बिन प्राण
सकल हंस में राम बिराजे राम बिना धाम नहीं राम बिना धाम नहीं सब भरमंड (ब्रह्माण्ड) में जोत का बासा राम को सुमिरो दूजा नाही तीन गुण पर तेज हमारा
पांच तत्व पर जोत जले जिनका उजाला चौदह लोक में सूरत डोर आकाश चढ़े सकल हंस में राम बिराजे
नाभि कमल से परख लेना हृदय कमल बीच फिरे मणि अनहद बाजा बाजे शहर में ब्रह्माण्ड पर आवाज हुयी सकल हंस में राम बिराजे
हीरा जो जोती लाल जवारात प्रेम पदार्थ पर्ख्यो नाही सांचा मोती सुमर लेना राम धनी से म्हारी दूर लगी सकल हंस में राम बिराजे
गुरुजन होय तो हेरीलो घट में बाहर शहर में भटको नहीं
Prahlad Singh Tipaniya Bhajan Lyrics in Hindi
गुरु प्रताप नानक शाह के चरने भीतर बोले दूजा नाइ सकल हंस में राम बिराजे
Guru Nanak bani by prahalad singh tipaniya सकल हंस में राम बिराजे सकल हंस में राम बिराजे लिरिक्स हिंदी Sakal Hans Me Ram Biraje
Prem Na Badee Upaje Prem Na Haat Bikaay Bina Prem Ka Maanava Bandhiya Jam Pur Jaay Ja Ghat Prem Na Sanchare Ja Ghat Jaan Masaan Jaise Khaal Lohaar Kee Vo Svaas Let Bin Praan
Sakal Hans Mein Raam Biraaje Raam Bina Dhaam Nahin Raam Bina Dhaam Nahin Sab Bharamand (Brahmaand) Mein Jot Ka Baasa Raam Ko Sumiro Dooja Naahee Teen Gun Par Tej Hamaara Paanch Tatv Par Jot Jale Jinaka Ujaala Chaudah Lok Mein Soorat Dor Aakaash Chadhe Sakal Hans Mein Raam Biraaje
Naabhi Kamal Se Parakh Lena Hrday Kamal Beech Phire Mani Anahad Baaja Baaje Shahar Mein Brahmaand Par Aavaaj Huyee Sakal Hans Mein Raam Biraaje
Heera Jo Jotee Laal Javaaraat Prem Padaarth Parkhyo Naahee Saancha Motee Sumar Lena Raam Dhanee Se Mhaaree Door Lagee Sakal Hans Mein Raam Biraaje
Gurujan Hoy To Hereelo Ghat Mein Baahar Shahar Mein Bhatako Nahin Guru Prataap Naanak Shaah Ke Charane Bheetar Bole Dooja Nai Sakal Hans Mein Raam Biraaje
यह गीत प्रेम और ईश्वर के महत्व पर आधारित है। गीतकार कहते हैं कि प्रेम एक ऐसी चीज है जो न तो खेत में उगती है और न ही बाजार में बिकी जाती है। यह एक ऐसी चीज है जो केवल दिल से दिल तक आ सकती है। बिना प्रेम के मनुष्य एक बंदी की तरह होता है जो नरक में चला जाता है। जिस मन में प्रेम नहीं होता, वह मन मसान होता है। जैसे लोहार की खाल बिना प्राण के सांस लेती है, वैसे ही प्रेम के बिना मन भी सांस लेता है, लेकिन वह जीवित नहीं होता।
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