सकल हंस में राम बिराजे लिरिक्स Sakal Hans Me Ram Biraje

सकल हंस में राम बिराजे Sakal Hans Me Ram Biraje Prahlad Singh Tipaniya Kabir Bhajan

 
सकल हंस में राम बिराजे लिरिक्स हिंदी Sakal Hans Me Ram Biraje Lyrics

प्रेम ना बड़ी उपजे
प्रेम ना हाट बिकाय
बिना प्रेम का मानवा
बंधिया जम पुर जाय
जा घट प्रेम ना संचरे
जा घट जान मसान
जैसे खाल लोहार की
वो स्वास लेत बिन प्राण

सकल हंस में राम बिराजे
राम बिना धाम नहीं
राम बिना धाम नहीं
सब भरमंड (ब्रह्माण्ड) में जोत का बासा
राम को सुमिरो दूजा नाही
तीन गुण पर तेज हमारा
पांच तत्व पर जोत जले
जिनका उजाला चौदह लोक में
सूरत डोर आकाश चढ़े
सकल हंस में राम बिराजे

नाभि कमल से परख लेना
हृदय कमल बीच फिरे मणि
अनहद बाजा बाजे शहर में
ब्रह्माण्ड पर आवाज हुयी
सकल हंस में राम बिराजे

हीरा जो जोती लाल जवारात
प्रेम पदार्थ पर्ख्यो नाही
सांचा मोती सुमर लेना
राम धनी से म्हारी दूर लगी
सकल हंस में राम बिराजे

गुरुजन होय तो हेरीलो घट में
बाहर शहर में भटको नहीं
गुरु प्रताप नानक शाह के चरने
भीतर बोले दूजा नाइ
सकल हंस में राम बिराजे

 

Guru Nanak bani by prahalad singh tipaniya सकल हंस में राम बिराजे सकल हंस में राम बिराजे लिरिक्स हिंदी Sakal Hans Me Ram Biraje

 
Prem Na Badee Upaje
Prem Na Haat Bikaay
Bina Prem Ka Maanava
Bandhiya Jam Pur Jaay
Ja Ghat Prem Na Sanchare
Ja Ghat Jaan Masaan
Jaise Khaal Lohaar Kee
Vo Svaas Let Bin Praan

Sakal Hans Mein Raam Biraaje
Raam Bina Dhaam Nahin
Raam Bina Dhaam Nahin
Sab Bharamand (Brahmaand) Mein Jot Ka Baasa
Raam Ko Sumiro Dooja Naahee
Teen Gun Par Tej Hamaara
Paanch Tatv Par Jot Jale
Jinaka Ujaala Chaudah Lok Mein
Soorat Dor Aakaash Chadhe
Sakal Hans Mein Raam Biraaje

Naabhi Kamal Se Parakh Lena
Hrday Kamal Beech Phire Mani
Anahad Baaja Baaje Shahar Mein
Brahmaand Par Aavaaj Huyee
Sakal Hans Mein Raam Biraaje

Heera Jo Jotee Laal Javaaraat
Prem Padaarth Parkhyo Naahee
Saancha Motee Sumar Lena
Raam Dhanee Se Mhaaree Door Lagee
Sakal Hans Mein Raam Biraaje

Gurujan Hoy To Hereelo Ghat Mein
Baahar Shahar Mein Bhatako Nahin
Guru Prataap Naanak Shaah Ke Charane
Bheetar Bole Dooja Nai
Sakal Hans Mein Raam Biraaje


यह गीत प्रेम और ईश्वर के महत्व पर आधारित है। गीतकार कहते हैं कि प्रेम एक ऐसी चीज है जो न तो खेत में उगती है और न ही बाजार में बिकी जाती है। यह एक ऐसी चीज है जो केवल दिल से दिल तक आ सकती है। बिना प्रेम के मनुष्य एक बंदी की तरह होता है जो नरक में चला जाता है। जिस मन में प्रेम नहीं होता, वह मन मसान होता है। जैसे लोहार की खाल बिना प्राण के सांस लेती है, वैसे ही प्रेम के बिना मन भी सांस लेता है, लेकिन वह जीवित नहीं होता।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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3 टिप्पणियां

  1. Nice
  2. nice bhajan, Thanks for Lyrics
    1. Thanks :) Keep Visiting Blog