श्री गणेश काटो क्लेश नित् हमेश धंयावाँ थाँने लिरिक्स Shri Ganesh Kato Kalesh Lyrics

श्री गणेश काटो क्लेश नित् हमेश धंयावाँ थाँने लिरिक्स Shri Ganesh Kato Kalesh Lyrics

श्री गणेश काटो क्लेश नित् हमेश धंयावाँ थाँने
अरजी करां दरबार में मनवा थाने
अरजी दरबार में करता सरकार में,श्री गणेश काटो

दुंद दुंदाला देवा शूँड शूँडाल
मोटा मूँड लम्बी शूंड भरके दूंद ध्यावा थाने

पुष्पन माला नयन विशाला
चढ़े सिन्दूर बरसे नूर दुश्मन दूर ध्यावा थाने

रिद्धि सिद्धि नारी देवा लागै पियारी
रिद्धि सिद्धि नार भरया भंडार सेवा अपार ध्यावा थाने

दास मोती सिंह तेरा गुण गावे
गुरू चरणा मे शीश नवावें
द् यो वरदान मांगु दान करो कल्याण  ध्यावा थाने
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

।। श्री गणेश काटो क्लेश ।।

श्री गणेश काटो क्लेश,
नित् हमेश धंयावाँ थाँने।
अरजी करां दरबार में,
मनवा थाने।
अरजी दरबार में ,
करता सरकार में।
श्री गणेश काटो क्लेश,
नित् हमेश धंयावाँ थाँने।

शूँड शूँडाला दुंद दुंदाला।
मोटा मूँड लांबी शूंड,
भरके दूंद ।
धंयावाँ थाँने।
अरजी करां दरबार में,
मनवा थाने।
अरजी दरबार में,
करता सरकार में।
श्री गणेश काटो क्लेश,
नित् हमेश धंयावाँ थाँने।

पुष्पन माला नयन विशाला !
चढ़े सिन्दूर बरसे नूर,
दुश्मन दूर।
धंयावाँ थाँने।
अरजी करां दरबार में,
मनवा थाने।
अरजी दरबार में,
करता सरकार में।
श्री गणेश काटो क्लेश,
नित् हमेश धंयावाँ थाँने।

रिद्धि सिद्धि नारी लागै पियारी !
रिद्धि सिद्धि नार भरया भंडार ,
सेवा अपार।
धंयावाँ थाँने।
अरजी करां दरबार में,
मनवा थाने।
अरजी दरबार में,
करता सरकार में।
श्री गणेश काटो क्लेश,
नित् हमेश धंयावाँ थाँने।

दास मोती सिंह तेरा गुण गावे,
गुरू चरणा मे शीश नवावें !
दो वरदान, मांगु दान,
करो कल्याण !!
धंयावाँ थाँने।
अरजी करां दरबार में,
मनवा थाने।
अरजी दरबार में,
करता सरकार में।
श्री गणेश काटो क्लेश,
नित् हमेश धंयावाँ थाँने।
जोग फकीरी के भजन
कायर सके ना झेल , फकीरी अलबेला रो खेल।
ज्यूँ रण माँय लडे नर सूरा, अणियाँ झुक रया सेल।
गोली नाल जुजर बा चालै, सन्मुख लेवै झेल।
फकीरी अलबेला रो खेल। कायर सके ….
सती पति संग नी सरी, अपने पिया के गैल।
सुरत लगी अपने साहिब से , अग्नि काया बिच मेल।
फकीरी अलबेला रो खेल। कायर सके ….
अलल पक्षी ज्यूँ उलटा चाले , बांस भरत नट खेल।
मेरु इक्कीस छेद गढ़ बंका , चढ़गी अगम के महल।
फकीरी अलबेला रो खेल। कायर सके ….
दो और एक रवे नहीं दूजा, आप आप को खेल।
कहे सामर्थ कोई असल पिछाणै, लेवै गरीबी झेल।
फकीरी अलबेला रो खेल। कायर सके ….
श्री गणेश काटो क्लेश,
नित् हमेश धंयावाँ थाँने।
अरजी करां दरबार में,
मनवा थाने।
अरजी दरबार में ,
करता सरकार में।
श्री गणेश काटो क्लेश,
नित् हमेश धंयावाँ थाँने।



Gulab nath ji shree genesh kata klesh 

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं

एक टिप्पणी भेजें