इतणी नीत हराम में, जै इतणी हरी में होय चला जा बैकुंठ ने पल्ला पकड़े ना कोय गठरी में लागे तेरे चोर ........ मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर ........ मुसाफिर के सोवे मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे के सोवे भला के सोवे
के सोवे तू के सोवे मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे पाँच पच्चीस और तीन चोर हैं पाँच पच्चीस और तीन चोर हैं सबने मचा दिया शोर सबने मचा दिया शोर मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे के सोवे भला के सोवे के सोवे तू के सोवे मुसाफिर के सोवे
Bhagat Ram Niwas Bhajan,Chetawani Bhajan
गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे जाग सवेरा बात सवेरा फिर कोई ना लागे जोर मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे के सोवे भला के सोवे के सोवे तू के सोवे मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे भव सागर एक नदी बहत है
गुरु बिन उतरया ना कोय मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे के सोवे भला के सोवे के सोवे तू के सोवे मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे कहते कबीरा सुनो रे साधो छोडो जगत की डोर मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे के सोवे भला के सोवे के सोवे तू के सोवे मुसाफिर के सोवे गठरी में लागे तेरे चोर मुसाफिर के सोवे