जय देवी जय देवी महिषासुरमर्दिनी माता रानी भजन

जय देवी जय देवी महिषासुरमर्दिनी Jay Devi Jay Devi Mahishasur Mardini

 
जय देवी जय देवी महिषासुरमर्दिनी लिरिक्स Jay Devi Jay Devi Mahishasur Mardini Lyrics

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी।
अनाथ नाथे अम्बे करुणा विस्तारी।
वारी वारी जन्म मरणांते वारी।
हारी पडलो आता संकट निवारी॥

जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी।
सुरवर ईश्वर वरदे तारक संजीवनी॥

त्रिभुवन-भुवनी पाहता तुज ऐसी नाही।
चारी श्रमले परन्तु न बोलवे काही।
साही विवाद करिता पडले प्रवाही।
ते तू भक्तालागी पावसि लवलाही॥

जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी।
सुरवर ईश्वर वरदे तारक संजीवनी॥

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासा।
क्लेशांपासुनि सोडवि तोडी भवपाशा।
अम्बे तुजवाचून कोण पुरविल आशा।
नरहरी तल्लिन झाला पदपंकजलेशा॥

जय देवी जय देवी महिषासुरमथिनी।
सुरवर ईश्वर वरदे तारक संजीवनी॥


भजन मां दुर्गा की महिमा का अनुपम चित्रण करता है। इसमें माता को संसार के सभी दुखों को हरने वाली और अनाथों की रक्षक के रूप में वर्णित किया गया है। मां दुर्गा की करुणा और कृपा से साधक अपने जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है और संकटों का नाश होता है।

मां को महिषासुरमर्दिनी के रूप में संबोधित करते हुए, भजन में उनके महान पराक्रम और दानवों का संहार करने की शक्ति को सराहा गया है। तीनों लोकों में उनके समान कोई नहीं है, और वे भक्तों की पुकार सुनकर तुरंत उनकी सहायता के लिए आती हैं। उनकी प्रसन्न मुद्रा भक्तों के जीवन में आनंद और शांति का संचार करती है।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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