माता विश्वम्भरी, माँ कर्मा की देवी हैं। वह प्राकृत और सर्वोच्च शक्ति है। माता विश्वम्भरी आदि शक्ति हैं। माता विश्वम्भर इस जगत और ब्रह्माण्ड की निर्माता हैं। माता विश्वम्भरी ने ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति का निर्माण किया। माता विश्वम्भरी ही समस्त जीवों का निर्माण करने वाली शक्ति है। माता कहती हैं की असली शक्ति आपके अंदर है इसलिए बाह्य जगत में किसी को ढूंढने की आवश्यकता नहीं है।
विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता, विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता, दुर्बुद्धिने दूर करी सदबुद्धि आपो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
भूलो पड़ी भवरने भटकू भवानी, सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी, भासे भयंकर वाली मन ना उतापो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
आ रंकने उगरावा नथी कोई आरो, जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो, ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
माँ कर्म जन्मा कथनी करता विचारू, आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारूँ, कोने कहू कथन योग तनो बलापो माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
हूँ काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो,
आदम्बरे अति घनो मदथी बकेलो, दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू, ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू, श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
रे रे भवानी बहु भूल थई छे मारी, आ ज़िन्दगी थई मने अतिशे अकारि, दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो, ब्रह्माण्डमा अणु अणु महि वास तारों, शक्तिन माप गणवा अगणीत मापो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते, तेना थकी विविधः ताप तळेक चिते, वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापों,
Mata Rani Bhajan lyrics in hindi
माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
श्री सदगुरु शरणमा रहीने भजु छू, रात्री दिने भगवती तुजने भजु छू, सदभक्त सेवक तना परिताप छापो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
अंतर विशे अधिक उर्मी तता भवानी, गाऊँ स्तुति तव बले नमिने मृगानी, संसारना सकळ रोग समूळ कापो, माम पाहि ओम भगवती भव दुख कांपों।
विश्वंभरी स्तुति महिमा
विश्वंभरी स्तुति देवी अंबाजी की महिमा का गुणगान करती है, जो समस्त सृष्टि की जननी और पालनकर्ता हैं। इस स्तुति में भक्त अपनी दुर्बुद्धि को दूर कर सद्बुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करते हैं, जिससे जीवन के कष्टों से मुक्ति मिल सके। यह स्तुति आत्मशुद्धि, मन की शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। नवरात्रि और अन्य शुभ अवसरों पर इसका पाठ विशेष रूप से किया जाता है, जिससे भक्त देवी की कृपा प्राप्त कर सकें।इस स्तुति का नियमित जाप करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है। भक्तों का विश्वास है कि इससे देवी अंबाजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
विश्वंभरी अखिल विश्व तनी जनेता, विद्या धरी वदनमा वसजो विधाता हे विश्वंभरी (संपूर्ण विश्व की माता), आप समस्त विश्व की जननी हैं। आपके मुख में विद्या का वास है, आप ही विधाता हैं।
मेरी दुर्बुद्धि को दूर कर सद्बुद्धि प्रदान करें। हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
भूलो पड़ी भवरने भटकू भवानी, सूझे नहीं लगिर कोई दिशा जवानी मैं संसार के भंवर में भटक रहा हूँ, हे भवानी। मुझे कोई सही दिशा नहीं सूझ रही है।
भासे भयंकर वाली मन ना उतापो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो भयंकर विपत्तियाँ सामने आ रही हैं, मन अशांत है। हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
आ रंकने उगरावा नथी कोई आरो, जन्मांड छू जननी हु ग्रही बाल तारो इस निर्धन को उबारने वाला कोई नहीं है। हे जननी, मैं आपके चरणों में एक बालक के समान हूँ।
ना शु सुनो भगवती शिशु ना विलापो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो क्या आप अपने शिशु के विलाप को नहीं सुनेंगी? हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
माँ कर्म जन्मा कथनी करता विचारू, आ स्रुष्टिमा तुज विना नथी कोई मारू हे माँ, मैं अपने कर्मों और जन्मों के बारे में सोचता हूँ। इस सृष्टि में आपके बिना मेरा कोई नहीं है।
कोने कहू कथन योग तनो बलापो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो मैं अपनी व्यथा किससे कहूँ? हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
हूँ काम क्रोध मद मोह थकी छकेलो, आदम्बरे अति घनो मदथी बकेलो मैं काम, क्रोध, मद और मोह से थका हुआ हूँ। अहंकार में डूबकर अनाप-शनाप बोल रहा हूँ।
दोषों थकी दूषित ना करी माफ़ पापो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो मेरे दोषों से दूषित मन को शुद्ध करें और पापों को क्षमा करें। हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
ना शाश्त्रना श्रवण नु पयपान किधू, ना मंत्र के स्तुति कथा नथी काई किधू मैंने न तो शास्त्रों का श्रवण किया, न मंत्रों का जाप या स्तुति की है।
श्रद्धा धरी नथी करा तव नाम जापो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो श्रद्धा न होने के कारण मैंने आपका नाम जाप नहीं किया। हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
रे रे भवानी बहु भूल थई छे मारी, आ ज़िन्दगी थई मने अतिशे अकारि हे भवानी, मुझसे बहुत भूलें हुई हैं। यह जीवन मुझे अत्यंत निरर्थक लग रहा है।
दोषों प्रजाली सगला तवा छाप छापो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो मेरे सभी दोषों को मिटाकर शुद्ध करें। हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
खाली न कोई स्थल छे विण आप धारो, ब्रह्माण्डमा अणु अणु महि वास तारो आपके बिना कोई स्थान खाली नहीं है। ब्रह्माण्ड के प्रत्येक कण में आपका वास है।
शक्तिन माप गणवा अगणीत मापो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो आपकी शक्ति की गणना करना असंभव है। हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
पापे प्रपंच करवा बधी वाते पुरो, खोटो खरो भगवती पण हूँ तमारो पाप और प्रपंच करने के सभी मार्ग मैंने पूरे कर लिए हैं। हे भगवती, मैं चाहे जैसा भी हूँ, परंतु आपका ही हूँ।
जद्यान्धकार दूर सदबुध्ही आपो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो अज्ञान के अंधकार को दूर कर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें। हे भगवती, मेरी रक्षा करें और संसार के दुखों को समाप्त करें।
शीखे सुने रसिक चंदज एक चित्ते, तेनाथकी विविधः ताप तळेक चिते मैंने जो कुछ भी सीखा और सुना है, उसे एकचित्त होकर स्मरण करता हूँ।
वाधे विशेष वली अंबा तना प्रतापो, माम पाहि ॐ भगवती भव दुःख कापो हे अंबा, आपके प्रताप से विशेष रूप से मेरी बाधाएँ दूर हों। हे भगवती, मेरी रक्षा करें
Author - Saroj Jangir
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