उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है जो सोवत है सो खोवत है, जो जगत है सोई पावत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है जो सोवत है सो खोवत है, जो जगत है सोई पावत है
(टुक) उठ नींद से अखियाँ खोल जरा, और अपने प्रभु में ध्यान लगा उठ नींद से अखियाँ खोल जरा, और अपने प्रभु में ध्यान लगा यह प्रीत कारन की रीत नहीं, प्रभु जागत है तू सोवत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है
जो कल करना है आज करले , जो आज करे सो अभी कर ले जो कल करना है आज करले , जो आज करे सो अभी कर ले जब चिड़ियों ने चुग ये खेत लिया, फिर पछताये क्या होवत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है
नादान भुगत अपनी करनी, ऐ पापी पाप मै चैन कहाँ
नादान भुगत अपनी करनी, ऐ पापी पाप मै चैन कहाँ जब पाप की गठड़ी शीश धरी, अब शीश पकड़ क्यूँ रोवत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है
उठ नींद से अखियाँ खोल जरा, और अपने प्रभु में ध्यान लगा उठ नींद से अखियाँ खोल जरा, और अपने प्रभु में ध्यान लगा यह प्रीत कारन की रीत नहीं, प्रभु जागत है तू सोवत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है
वो प्राणी भी क्या प्राणी है जिसके सीने राम नहीं, वो प्राणी भी क्या प्राणी है जिसके सीने में राम नहीं, ना जीवन फिर मिल पायेगा, क्यों पाप तू प्राणी ढोवत है, उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है
उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है जो सोवत है सो खोवत है, जो जगत है सोई पावत है उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है
devotional Bhajan Lyrics in Hindi
जो सोवत है सो खोवत है, जो जगत है सोई पावत है
Best Nirgun Bhajan || Uth Jag Musafir Bhor Bhai || Pt Ram Avtaar Sharma # Ambey Bhakti
उठ जाग मुसाफिर भोर भई, अब रैन कहाँ जो सोवत है | जो सोवत है सो खोवत है, जो जगत है सोई पावत है ||
टुक नींद से अखियाँ खोल जरा, और अपने प्रभु में ध्यान लगा | यह प्रीत कारन की रीत नहीं, रब जागत है तू सोवत है ||
जो कल करना सो आज करले , जो आज करे सो अभी करले | जब चिड़िया ने चुग खेत लिया, फिर पछतावे क्या होवत है ||
नादान भुगत अपनी करनी, ऐ पापी पाप मै चैन कहाँ | जब पाप की गठड़ी सीस धरी, अब सीस पकड़ क्यूँ रोवत है || Uth jaag musafir bhor bhai Ab rain kaha jo sovat hai Uth jaag musafir bhor bhai Ab rain kaha jo sovat hai Jo jaagat hai so pavat hai Jo sovat hai so khovat hai Uth jaag uth jaag uth jaag Uth jaag uth jaag uth jaag
Tuk neend se ankhiya khol zara O gafil rab se dhyan laga Tuk neend se ankhiya khol zara O gafil rab se dhyan laga Yeh preet karan ki reet nahi Rab jagat hai tu sovat hai Uth jaag uth jaag uth jaag Uth jaag uth jaag uth jaag
Jo kaal kare so aaj kar le Jo aaj kare so ab kar le Jo kaal kare so aaj kar le Jo aaj kare so ab kar le Jab chidiya kheti chug dali Phir pachhtaye kya hovat hai Uth jaag musafir bhor bhai Ab rain kaha jo sovat hai Uth jaag uth jaag uth jaag Uth jaag uth jaag uth jaag