दाती माँ मेरी लाज रखना भजन
दाती माँ मेरी लाज रखना माता रानी भजन
दाती माँ मेरी लाज रखना,
लाज सबकी तू रखने वाली,
तेरे दर पर आया माँ सवाली,
दाती माँ मेरी लाज रखना।
मजबूर मैं तेरा पुजारी,
नवराते तेरे आए दातिए।
तेरे दर का माँ मैं भिखारी,
कहाँ पे अब जाए दातिए।
मेरे पास नहीं इक पाई,
तू ही दिखला मेहर महा माई,
दाती माँ मेरी लाज रखना।
कंजके माँ बिठाना चाहूँ,
मगर नहीं भोग है बना।
कैसे तुझको मैं भोग लगाऊँ,
नहीं पूरी हलवा चना।
कैसे तेरी माँ ज्योत जगाऊँ,
कैसे चुनरी मैं तुझको उड़ाऊँ,
दाती माँ मेरी लाज रखना।
कोई मेरी हँसी न उड़ाए,
मेहर बस इतनी करों।
मेरे घर में ज्योत जग जाए,
करम शर्मा पे करों।
तेरी तरफ नज़र है मेरी,
हो मैया आज न करना देरी,
दाती माँ मेरी लाज रखना।
SONG - DAATI MAA MERI LAAZ RAKHNA
SINGER : RANJEET RAJA
LYRICIST: ANIL SHARMA
MUSIC DIRECTOR : RANJEET RAJA
MIX AND MASTER : SONU KOLI "PARAS
EDITOR : ANURADHA GOSWAMI
लाज सबकी तू रखने वाली,
तेरे दर पर आया माँ सवाली,
दाती माँ मेरी लाज रखना।
मजबूर मैं तेरा पुजारी,
नवराते तेरे आए दातिए।
तेरे दर का माँ मैं भिखारी,
कहाँ पे अब जाए दातिए।
मेरे पास नहीं इक पाई,
तू ही दिखला मेहर महा माई,
दाती माँ मेरी लाज रखना।
कंजके माँ बिठाना चाहूँ,
मगर नहीं भोग है बना।
कैसे तुझको मैं भोग लगाऊँ,
नहीं पूरी हलवा चना।
कैसे तेरी माँ ज्योत जगाऊँ,
कैसे चुनरी मैं तुझको उड़ाऊँ,
दाती माँ मेरी लाज रखना।
कोई मेरी हँसी न उड़ाए,
मेहर बस इतनी करों।
मेरे घर में ज्योत जग जाए,
करम शर्मा पे करों।
तेरी तरफ नज़र है मेरी,
हो मैया आज न करना देरी,
दाती माँ मेरी लाज रखना।
एक माँ की दर्द भरी पुकार - DAATI MAA MERI LAAZ RAKHNA - बहुत ही दर्द भरा भजन DEVIBHAJAN
SINGER : RANJEET RAJA
LYRICIST: ANIL SHARMA
MUSIC DIRECTOR : RANJEET RAJA
MIX AND MASTER : SONU KOLI "PARAS
EDITOR : ANURADHA GOSWAMI
जीवन जब संघर्षों, अभावों और असमर्थता के भय से घिर जाता है, तब मन उसी मूल स्रोत की ओर लौटता है, जिसने सृजन किया — उस मातृशक्ति की ओर। यह भाव आत्मा की करुण प्राथना है, जहाँ मन अपनी निस्तेजता और लाचारगी के बोझ को माँ की कृपा के चरणों में रखता है। यह मन स्वीकार करता है कि वह स्वयं कुछ करने में समर्थ नहीं, पर माँ की करुणा यदि उस पर दृष्टि डाले, तो असंभव मार्ग भी संभव हो जाता है। यह "लाज रखने" का अनुरोध किसी बाहरी प्रतिष्ठा का नहीं, बल्कि उस भीतरी विश्वास का प्रतीक है कि माँ अपने भक्त की मर्यादा, श्रद्धा और विश्वास की रक्षा अवश्य करती है।
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