म्हारे घर में सेठानी को आज मंगलपाठ है भजन

दुर्गे भवानी तू ही काली कल्याणी भजन

(मुखड़ा)
दादी जी म्हारे घराँ पधारी,
तन-धन जी भी साथ हैं,
म्हारे घर में सेठानी को,
आज मंगलपाठ है।।

(अंतरा)
लाल चुनरी ल्यावो जी,
मैया ने ओढ़ावो जी,
ताजा-ताजा फूलां को,
गजरो लेकर आवो जी।
लाल सुरंगी मेहंदी माँ के,
सोह्वे दोन्यूं हाथ हैं,
म्हारे घर में सेठानी को,
आज मंगलपाठ है।।

कलियुग में दादी जी को,
डंको घर-घर बाज रह्यो,
सांची माँ की सकलाइ,
बच्चो-बच्चो पूज रह्यो।
दादी जी ही जगदंबा हैं,
दादी दीनानाथ हैं,
म्हारे घर में सेठानी को,
आज मंगलपाठ है।।

ज्योत जगावो दादी की,
दादी की जयकार करो,
दादी जी का लाड करो,
मन से मंगलपाठ करो।
दादी जी ने जो भी ध्यावे,
दादी बी के साथ है,
म्हारे घर में सेठानी को,
आज मंगलपाठ है।।

सोने का घड़ा सुनार को,
सुहागन्यां मन भावे है,
भजन सुनावे कैलाशी,
सारी दुनिया नाचे है।
दिन में मंगलपाठ करांगा,
कीर्तन सारी रात है,
म्हारे घर में सेठानी को,
आज मंगलपाठ है।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
दादी जी म्हारे घराँ पधारी,
तन-धन जी भी साथ हैं,
म्हारे घर में सेठानी को,
आज मंगलपाठ है।।
 


म्हारे घर में सेठानी को आज मंगलपाठ है sung BY VIKASH SUGANDH KAILASHI
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