शनि मन्त्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम लिरिक्स Shani Mantra Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam Lyrics

शनि मन्त्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम लिरिक्स Shani Mantra Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam Lyrics शनि मंत्र

 
शनि मन्त्र नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम लिरिक्स Shani Mantra Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam Lyrics

नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
 

SHANI MANTRA by Suresh Wadkar | 108 times with Meaning | शनि मंत्र
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |

LIVE: शनिदेव मंत्र जाप | Shani Mantra Chanting | Nilanjana Samabhasam
"Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam ||
Cahaya Martanda Samhubhutam Tama Namami Shanescharam ||"
"Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam ||
Cahaya Martanda Samhubhutam Tama Namami Shanescharam ||"
"Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam ||
Cahaya Martanda Samhubhutam Tama Namami Shanescharam ||"
"Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam ||
Cahaya Martanda Samhubhutam Tama Namami Shanescharam ||"
"Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam ||
Cahaya Martanda Samhubhutam Tama Namami Shanescharam ||"
"Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam ||
Cahaya Martanda Samhubhutam Tama Namami Shanescharam ||"
"Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam ||
Cahaya Martanda Samhubhutam Tama Namami Shanescharam ||"
"Om Nilanjana Samabhasam Ravi Putram Yamagrajam ||
Cahaya Martanda Samhubhutam Tama Namami Shanescharam ||"
 
शनि मंत्र -
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम |
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ||

शनि चलीसा -
।। दोहा ।।

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल ।।
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज ।।
जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ।।
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै ।।
परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ।।
कुण्डल श्रवण चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमके ।।
कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं आरिहिं संहारा ।।
पिंगल, कृष्णों, छाया, नन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुख भंजन ।।
सौरी, मन्द, शनि, दश नामा । भानु पुत्र पूजहिं सब कामा ।।
जा पर प्रभु प्रसन्न है जाहीं । रंकहुं राव करैंक्षण माहीं ।।
पर्वतहू तृण होई निहारत । तृण हू को पर्वत करि डारत ।।
राज मिलत बन रामहिं दीन्हो । कैकेइहुं की मति हरि लीन्हों ।।
बनहूं में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चतुराई ।।
लखनहिं शक्ति विकल करि डारा । मचिगा दल में हाहाकारा ।।
रावण की गति-मति बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ।।
दियो कीट करि कंचन लंका । बजि बजरंग बीर की डंका ।।
नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा । चित्र मयूर निगलि गै हारा ।।
हार नौलाखा लाग्यो चोरी । हाथ पैर डरवायो तोरी ।।
भारी दशा निकृष्ट दिखायो । तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो ।।
विनय राग दीपक महं कीन्हों । तब प्रसन्न प्रभु है सुख दीन्हों ।।
हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी । आपहुं भरे डोम घर पानी ।।
तैसे नल परदशा सिरानी । भूंजी-मीन कूद गई पानी ।।
श्री शंकरहि गहयो जब जाई । पार्वती को सती कराई ।।
तनिक विलोकत ही करि रीसा । नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ।।
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । बची द्रौपदी होति उघारी ।।
कौरव के भी गति मति मारयो । युद्घ महाभारत करि डारयो ।।
रवि कहं मुख महं धरि तत्काला । लेकर कूदि परयो पाताला ।।
शेष देव-लखि विनती लाई । रवि को मुख ते दियो छुड़ई ।।
वाहन प्रभु के सात सुजाना । जग दिग्ज गर्दभ मृग स्वाना ।।
जम्बुक सिंह आदि नखधारी । सो फल जज्योतिष कहत पुकारी ।।
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं । हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं ।।
गर्दभ हानि करै बहु काजा । गर्दभ सिद्घ कर राज समाजा ।।
जम्बुक बुद्घि नष्ट कर डारै । मृग दे कष्ट प्रण संहारै ।।
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी । चोरी आदि होय डर भारी ।।
तैसहि चारि चरण यह नामा । स्वर्ण लौह चांजी अरु तामा ।।
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं । धन जन सम्पत्ति नष्ट करावै ।।
समता ताम्र रजत शुभकारी । स्वर्ण सर्व सुख मंगल कारी ।।
जो यह शनि चरित्र नित गावै । कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै ।।
अदभुत नाथ दिखावैं लीला । करैं शत्रु के नशि बलि ढीला ।।
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई । विधिवत शनि ग्रह शांति कराई ।।
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत । दीप दान दै बहु सुख पावत ।।
कहत रामसुन्दर प्रभु दासा । शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा ।।
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1 टिप्पणी

  1. Om sam shaneshcharaye namah