बता दो हे जगत जननी मेरा उद्धार कैसे हो
(मुखड़ा)
बता दो हे जगत जननी,
मेरा उद्धार कैसे हो,
बह रहा हूँ अगम धारा,
मैं बेड़ा पार कैसे हो।।
(अंतरा)
नहीं श्रद्धा, नहीं भक्ति,
नहीं विद्या, नहीं बुद्धि,
तेरे दासों में हे माता,
मेरा शुमार कैसे हो,
बता दो हे जगत जननी,
मेरा उद्धार कैसे हो।।
मैं जैसा हूँ, तुम्हारा हूँ,
भरोसा आपका भारी,
तो फिर किससे करूँ फरियाद,
मंजिल पार कैसे हो,
बता दो हे जगत जननी,
मेरा उद्धार कैसे हो।।
बहुत भटका हूँ विषयों में,
कहीं भी शांति न पाई,
फंसा मद, मोह, माया में,
मेरा निस्तार कैसे हो,
बता दो हे जगत जननी,
मेरा उद्धार कैसे हो।।
चली अविवेक की आंधी,
नहीं कुछ सूझ पड़ता है,
मेरे मानस के मंदिर में,
तेरा दीदार कैसे हो,
बता दो हे जगत जननी,
मेरा उद्धार कैसे हो।।
सहारा दो महाशक्ति,
मैं पंगु हूँ, अति दीना,
बड़ी उलझन में उलझा हूँ,
कहो उद्धार कैसे हो,
बता दो हे जगत जननी,
मेरा उद्धार कैसे हो।।
यही विनती है सेवक की,
जगत को प्रेममय देखूँ,
करूँ बलिदान स्वार्थ का,
ये परोपकार कैसे हो,
बता दो हे जगत जननी,
मेरा उद्धार कैसे हो।।
(अंतिम पुनरावृत्ति)
बता दो हे जगत जननी,
मेरा उद्धार कैसे हो,
बह रहा हूँ अगम धारा,
मैं बेड़ा पार कैसे हो।।
Bata Do Hey Jagat Janani | बता दो हे जगत जननी | Hemlata Shastri Ji Bhajan
भजन : जब संत मिलन हो जाये, देवी हेमलता शास्त्री जी
Bhajan : Bata Do Hey Jagat Janani by @devihemlatashastriji