अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं लिरिक्स

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं लिरिक्स Achyutam Keshvam Krishna Damodaram Lyrics Shri Krishna Bhajan Lyrics

 
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं लिरिक्स Achyutam Keshvam Krishna Damodaram Lyrics

अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं,
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं,

कौन कहता है भगवान आते नहीं, तुम मीरा के जैसे बुलाते नहीं,
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं,

कौन कहता है भगवान खाते नहीं, बेर शबरी के जैसे खिलते नहीं,
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं,

कौन कहता है भगवान सोते नहीं, माँ यशोदा के जैसे सुलाते नहीं,
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं,

कौन कहता है भगवान नाचते नहीं, तुम गोपी के जैसे नचाते नहीं,
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं,

कौन कहता है भगवान नचाते नहीं, गोपियों की तरह तुम नाचते नहीं,
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं,
अच्युतम केशवं कृष्ण दामोदरं, राम नारायणं जानकी वल्लभं,



बुधवार सुबह स्पेशल || अच्युतम केशवम कृष्णा दामोदरं || श्री कृष्ण भजन || Non-Stop Krishan Bhajan

achyutam keshavan krshn daamodaran, raam naaraayanan jaanakee vallabhan || -2

kaun kahata hai bhagavaan aate nahin, tum meera ke jaise bulaate nahin |
achyutam keshavan krshn daamodaran, raam naaraayanan jaanakee vallabhan ||

kaun kahata hai bhagavaan khaate nahin, ber shabaree ke jaise khilate nahin |
achyutam keshavan krshn daamodaran, raam naaraayanan jaanakee vallabhan ||

kaun kahata hai bhagavaan sote nahin, maan yashoda ke jaise sulaate nahin |
achyutam keshavan krshn daamodaran, raam naaraayanan jaanakee vallabhan ||

kaun kahata hai bhagavaan naachate nahin, tum gopee ke jaise nachaate nahin |
achyutam keshavan krshn daamodaran, raam naaraayanan jaanakee vallabhan ||

kaun kahata hai bhagavaan nachaate nahin, gopiyon kee tarah tum naachate nahin |
achyutam keshavan krshn daamodaran, raam naaraayanan jaanakee vallabhan
achyutam keshavan krshn daamodaran, raam naaraayanan jaanakee vallabhan

 रक्ष रक्ष हरे मां च निमग्नं कामसागरे ।
दुष्कीर्तिजलपूर्णे च दुष्पारे बहुसङ्कटे ॥ १ ॥

भक्तिविस्मृतिबीजे च विपत्सोपानदुस्तरे ।
अतीव निर्मलज्ञानचक्षुःप्रच्छन्नकारणे ॥ २ ॥
जन्मोर्मिसङ्गसहिते योषिन्नक्रौघसङ्कुले ।
रतिस्रोतसमायुक्ते गंभीरे घोर एव च ॥ ३ ॥

प्रथमामृतरूपे च परिणामविषालये ।
यमालय प्रवेशाय मुक्तिद्वारादिविस्मृतौ ॥ ४ ॥

बुद्ध्या तरण्या विज्ञानैः उद्धरास्मानतः स्वयं ।
स्वयं च त्वं कर्णधार प्रसीद मधुसूदन ॥ ५ ॥

मद्विधा कतिचिन्नाथ नियोज्या भवकर्मणि ।
सन्ति विश्वेश विधयो हि विश्वेश्वर माधव ॥ ६ ॥

न कर्मक्षेत्रमेवेदं ब्रह्मलोकोऽयमीप्सितः ।
तथापि च स्पृहा कामे त्वद्भक्तिव्यवधायके ॥ ७ ॥
हे नाथ करुणासिन्धो दीनबन्धो कृपां कुरु ।
त्वं महेश महाज्ञाता दुःस्वप्नं मां न दर्शय ॥ ८ ॥

ब्रह्मणा निर्मितं स्तोत्रं भक्तियुक्तश्च यः पठेत् ।
स चैवाकर्मविषये न निमग्नो भवेत् ध्रुवम् ॥ ९ ॥

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