जम्मू में माँ मात वैष्णो कलकत्ते में काली भजन

जम्मू में माँ मात वैष्णो कलकत्ते में काली भजन

(मुखड़ा)
जम्मू में माँ मात वैष्णो,
कलकत्ते में काली,
सब की विनती सुनती है,
मेरी मैया शेरोवाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ।।

(अंतरा 1)
रूप अनेक हैं माँ के, ये बताऊँ मैं,
जहाँ भी देखूँ, मैया को ही पाऊँ मैं,
मैया का हर द्वार है सच्चा,
जानता हर बच्चा-बच्चा,
कहीं चामुंडा, कहीं पे ज्वाला,
कहीं पे झंडे वाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ।।

(अंतरा 2)
सच्चे दिल से जो माँ के दर आता है,
जीवन में वो कभी नहीं दुख पाता है,
गुण गाओ चाहे करोली,
खुशियों से भरती है झोली,
माँ के दर से आज तलक,
कोई लौटा नहीं है खाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ।।

(अंतरा 3)
'भीमसेन' बेशक प्यारे आज़मा ले तू,
माँ के दर पे सोया भाग्य जगा ले तू,
माँ-बेटे का निर्मल नाता,
क्यों ना तेरी समझ में आता,
ममता माँ के भक्तों की तो,
मनती रोज़ दिवाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ।।

(अंतिम पुनरावृत्ति)
जम्मू में माँ मात वैष्णो,
कलकत्ते में काली,
सब की विनती सुनती है,
मेरी मैया शेरोवाली,
जय जय माँ, जय जय माँ,
जय जय माँ, जय जय माँ।।
 


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