गुदना गुदवा लोभ जन लिरिक्स Gudana Gudava Lo bhajan Lyrics
मैं अलबेली गुदाय आई गुदना
मैं जो गई पानी भरने संग गए अपना
टूट गयी रस्सी लटक गये अपना
मैं अलबेली...
मैं जो गई रोटी करने संग गए अपना
फूल गई रोटी पिचक गए अपना
मैं अलबेली...
मैं जो गई छोटी करने संग आये अपना
टूट गई कंघी चटक गए अपना
मैं अलबेली...
मैं जो गई पानी भरने संग गए अपना
टूट गयी रस्सी लटक गये अपना
मैं अलबेली...
मैं जो गई रोटी करने संग गए अपना
फूल गई रोटी पिचक गए अपना
मैं अलबेली...
मैं जो गई छोटी करने संग आये अपना
टूट गई कंघी चटक गए अपना
मैं अलबेली...
गुदना गुदवा लो / बुंदेलखंडी लोकगीत / देशराज पटेरिया
दोहा: श्री राधे से मिलन का, कीन्हा कृष्ण विचार
बंसी मुकुट छिपाय के, रूप धरा लिलिहार |
बन गए नन्दलाल लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी
गुदवा लो प्यारी, के लीला गुदवा लो प्यारी || बन गए नन्दलाल ------
लहँगा पहन, ओढ़ी सिर साड़ी, अँगिया पक्की जरी किनारी!!!!
शीश पे शीशफूल बैना
लगाय लिया काजल दोऊ नैना
पहन लिया नख-शिख सों गहना |
दोहा: नख-शिख गहना पहन के, कर सोलह सिंगार
बलिहारी नंदनंदन की, बन गए नर से नार |
बलिहारी नंदनंदन की, बन गए नर से नार
बन गए नर से नार, के झोली कंधा पे डारी |
बन गए श्यामसुंदर लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
डाल झोली को कृष्ण मुरार, गुदाय लेओ लीला कहें पुकार
लीला कहें पुकार, गुदाय लेओ लीला कहें पुकार || बन गए नन्दलाल -------
दोहा: श्री राधे ने सखी भेज के, बुला लई लिलिहारि
कहन लगीं लिलिहारि से, के लिखियो खूब सँभार |
कहन लगीं लिलिहारि से, के लिखियो खूब सँभार
लिखियो खूब सँभार, कसर कुछ रह न जाए प्यारी,
बन गए श्यामसुंदर लिलिहार, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
शीश पे लिख दे श्री गिरिधारी, माथे पे लिख दे, मदन मुरारी !!!!!!!
दृगन पे लिख दे दीनदयाल
नासिका पे लिख दे नन्दलाल
कपोलन पे लिख कृष्ण गुपाल |
दोहा: स्रवनन में लिख साँवरो, अधरन आनंदकन्द
ठोड़ी पे ठाकुर लिखो और गले पे गोपीचन्द |
ठोड़ी पे ठाकुर लिखो और गले पे गोपीचन्द
छाती पे लिख छैल, दोऊ बाँहन पे बनवारी |
बन गए श्यामसुंदर लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
हाथन पे हलधर जी को भईया, उंगरिन पे आनंद-करइया !!!!!
पेट पे लिख दे परमानन्द
नाभि पे लिख दे तू नन्दनन्द
जाँघ पे लिख दे जय गोविन्द |
दोहा: घुटनों पे घनश्याम लिख, पिंडरिन में प्रतिपाल
चरणों में चितचोर लिख, नखों पे नन्द का लाल |
चरणों में चितचोर लिख, नखों पे नन्द का लाल
रोम-रोम में लिखो रमापति राधा बनवारी |
बन गए श्यामसुंदर लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
लीला गोद प्रेम जब आया, तन-मन का प्रभु होश गँवाया !!!!
खबर झोली-डांडा की नाँय
धरणि पर चरण नहीं ठहराँय
सखी सब देखत ही रह जाँय|
छन्द: देखत सखी सब रह गईं, झगड़ा निरख यह फन्द का
बिच में छिपा दीखे सखी, छलिया यह ढोटा नन्द का
चोली में बंसी छिप रही, राधे ने ली है निहार के
प्यारी ने प्यारे जब लखे, भेंटे हैं भुजा पसार के |
पुरुषोत्तम प्रभु चरण–कमल पे जाऊँ बलिहारी।
बन गए श्यामसुंदर लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
बंसी मुकुट छिपाय के, रूप धरा लिलिहार |
बन गए नन्दलाल लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी
गुदवा लो प्यारी, के लीला गुदवा लो प्यारी || बन गए नन्दलाल ------
लहँगा पहन, ओढ़ी सिर साड़ी, अँगिया पक्की जरी किनारी!!!!
शीश पे शीशफूल बैना
लगाय लिया काजल दोऊ नैना
पहन लिया नख-शिख सों गहना |
दोहा: नख-शिख गहना पहन के, कर सोलह सिंगार
बलिहारी नंदनंदन की, बन गए नर से नार |
बलिहारी नंदनंदन की, बन गए नर से नार
बन गए नर से नार, के झोली कंधा पे डारी |
बन गए श्यामसुंदर लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
डाल झोली को कृष्ण मुरार, गुदाय लेओ लीला कहें पुकार
लीला कहें पुकार, गुदाय लेओ लीला कहें पुकार || बन गए नन्दलाल -------
दोहा: श्री राधे ने सखी भेज के, बुला लई लिलिहारि
कहन लगीं लिलिहारि से, के लिखियो खूब सँभार |
कहन लगीं लिलिहारि से, के लिखियो खूब सँभार
लिखियो खूब सँभार, कसर कुछ रह न जाए प्यारी,
बन गए श्यामसुंदर लिलिहार, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
शीश पे लिख दे श्री गिरिधारी, माथे पे लिख दे, मदन मुरारी !!!!!!!
दृगन पे लिख दे दीनदयाल
नासिका पे लिख दे नन्दलाल
कपोलन पे लिख कृष्ण गुपाल |
दोहा: स्रवनन में लिख साँवरो, अधरन आनंदकन्द
ठोड़ी पे ठाकुर लिखो और गले पे गोपीचन्द |
ठोड़ी पे ठाकुर लिखो और गले पे गोपीचन्द
छाती पे लिख छैल, दोऊ बाँहन पे बनवारी |
बन गए श्यामसुंदर लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
हाथन पे हलधर जी को भईया, उंगरिन पे आनंद-करइया !!!!!
पेट पे लिख दे परमानन्द
नाभि पे लिख दे तू नन्दनन्द
जाँघ पे लिख दे जय गोविन्द |
दोहा: घुटनों पे घनश्याम लिख, पिंडरिन में प्रतिपाल
चरणों में चितचोर लिख, नखों पे नन्द का लाल |
चरणों में चितचोर लिख, नखों पे नन्द का लाल
रोम-रोम में लिखो रमापति राधा बनवारी |
बन गए श्यामसुंदर लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
लीला गोद प्रेम जब आया, तन-मन का प्रभु होश गँवाया !!!!
खबर झोली-डांडा की नाँय
धरणि पर चरण नहीं ठहराँय
सखी सब देखत ही रह जाँय|
छन्द: देखत सखी सब रह गईं, झगड़ा निरख यह फन्द का
बिच में छिपा दीखे सखी, छलिया यह ढोटा नन्द का
चोली में बंसी छिप रही, राधे ने ली है निहार के
प्यारी ने प्यारे जब लखे, भेंटे हैं भुजा पसार के |
पुरुषोत्तम प्रभु चरण–कमल पे जाऊँ बलिहारी।
बन गए श्यामसुंदर लिलिहारि, के लीला गुदवा लो प्यारी ||
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