हे विवेकानन्द स्वामी भजन
हे विवेकानन्द स्वामी।
सकल जग के महाराज ॥
अवतरे निज धाम तज तुम साधन
जगत हिताय काज ॥
अमित तेज अपार विक्रम ।
हर रहे तुम घोर भव भ्रम ॥
भोग तृष्णा को मिटाने ।
धरा है संन्यासी साज ॥
दान करो संजीवनामृत ।
सुप्त भारत किया जागृत ॥
आसमुद्र हिमाद्रि में ।
छा गया सन्यासी साज ॥
उठो जागो नींद तजो अब ।
अमृत की संतान सब ॥
सिंह सम तव गर्जना से ।
जग सब चैतन आज ॥
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