मूर्त-महेश्वरमुज्ज्वल-भास्करमिष्टममर भजन
मूर्त-महेश्वरमुज्ज्वल-भास्करमिष्टममर-नर-वन्द्यम्।
वन्दे वेद-तनुमुज्झित-गर्हित-काञ्चन-कामिनी-बन्धम्॥१
कोटि-भानुकर-दीप्त-सिंहमहो कटि-तट-कौपिनवन्तम्।
अभीरभीर्हुङ्कार-नादित-दिङ्मुख-प्रचण्ड-ताण्डव-नृत्यम्॥२
भुक्ति-मुक्ति-कृपा-कटाक्ष-प्रेक्षणमघ-दल-विदलन-दक्षम्।
बाल-चन्द्र-धरमिन्दु-वन्द्यमिह नौमि गुरु-विवेकानन्दम्॥३
मूर्त-महेश्वरमुज्ज्वल-भास्करमिष्टममर-नर-वन्द्यम्।
वन्दे वेद-तनुमुज्झित-गर्हित-काञ्चन-कामिनी-बन्धम्॥१
कोटि-भानुकर-दीप्त-सिंहमहो कटि-तट-कौपिनवन्तम्।
अभीरभीर्हुङ्कार-नादित-दिङ्मुख-प्रचण्ड-ताण्डव-नृत्यम्॥२
भुक्ति-मुक्ति-कृपा-कटाक्ष-प्रेक्षणमघ-दल-विदलन-दक्षम्।
बाल-चन्द्र-धरमिन्दु-वन्द्यमिह नौमि गुरु-विवेकानन्दम्॥३
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