केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारें देस जी लिरिक्स

केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारें देस जी Kesariya Balam Aavoni Padharo Mhare Des Song

केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारें देस जी लिरिक्स Kesariya Balam Aavoni Padharo Mhare Des Lyrics

केसरिया बालम आवोनी, पधारो म्हारें देस जी,
पियाँ परणी रा ढोला, आवोनी,पधारो म्हारें देस,
पधारो म्हारें देस,
केसरिया बालम आवोनी, पधारो म्हारें देस जी,
आवण जावण कह गया, तो कर गया कौल अनेक,
गिणताँ गिणताँ घिस गई, म्हारे आंगलियाँ री रेख,
केसरिया बालम आवोनी, पधारो म्हारें देस जी,
पियाँ परणी रा ढोला, आवोनी,पधारो म्हारें देस,
पधारो म्हारें देस,
साजन साजन मैं करूँ, तो साजन जीव जड़ी,
साजन फूल गुलाब रो, सुंघुँ घड़ी घड़ी,
केसरिया बालम आवोनी, पधारो म्हारें देस जी,
पियाँ परणी रा ढोला, आवोनी,पधारो म्हारें देस,
पधारो म्हारें देस,
मारूँ थारा देश में , निपजे तीन रत्न,
इक ढोला इक मरवण, तीजो कसुमल रंग,
केसरिया बालम आवोनी, पधारो म्हारें देस जी,
पियाँ परणी रा ढोला, आवोनी,पधारो म्हारें देस,
पधारो म्हारें देस,
सुपना तू सोभागियो, उत्तम थारी जात,
सो कोसा साजन बसै, आन मिलै परभात,
केसरिया बालम आवोनी, पधारो म्हारें देस जी,
पियाँ परणी रा ढोला, आवोनी,पधारो म्हारें देस,
पधारो म्हारें देस,

Kesariya Balam | Superhit Rajasthani Folk Song

 केसरिया बालम यह लोकगीत राजस्थान का बहुत ही विख्यात लोकगीत है । गीत की प्रेरणा "ढोला -मारू" कि प्रेम कहानी रही हैं ।  ढोला-मारू का एक दूसरे के प्रति अटूट प्रेम और उनका नाम आज पूरी दुनिया में विख्यात है। यह गीत उनकी प्रेम कहानी की एक छोटी सी झलक है कि कैसे अपने ढोला से दूर हुई मारू अपने ढोला से पुनः मिलन की खुशी में उसके स्वागत में ये गीत गा रही है।  "वीणा " ने अपने गीतों में सदैव संस्कार और संस्कृति की छवि को बिखेरा है । पिछले तीन दशक से "वीणा" ने मनोरंजन जगत में अपने लोकगीतों से अपनी एक अलग ही जगह बनाई है ,जिसका पूरा श्रेय जाता है "वीणा" परिवार के मुखिया "श्रीमान के.सी. मालू जी" को  जिन्होंने इस परिवार से सदैव सबको जोड़े रखा और "वीणा" को ऊंचाइयों के शिखर तक लेकर गये। "केसरिया बालम" - "बालम " का अर्थ है प्रियतम और पति। इस लोकगीत में बालम को केसरिया रंग से संबोधित किया गया है क्योंकि राजस्थान में केसरिया रंग की अपनी एक अलग सी अहमियत रही है , केसरिया रंग सदियों से बहादुरी और त्याग का प्रतीक रहा है । 
 
अपने ढोला से दूर मारू और अपने पति से दूर पत्नी पति के लोट आने की खुशी में उनके स्वागत में इस गीत का गान करती हैं। खुशी में झूमती पत्नी सबको तैयारियां करने को कह रही है बोल रही है मोतियों से थाल सजाओ आंगन को फूलों और रंगों से रंगदो आज मेरे साजन मेरे देश मेरे घर पधारेंगे। हर्षोल्लास में डूबी प्रेमिका पत्नी खुदका श्रृंगार कर रही है पिया मिलन कि बाट देख रही है। साजन से मिलन कि खुशी का एक अनोखा राग "वीणा" ने आप सभी के समीप इस गीत के माध्यम से बिखेरा है ,इस प्रेम राग को सुनकर आपलोगों का प्रेम हम तक जरूर पहुंचाये।

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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1 टिप्पणी

  1. Nice