नैनन नीर बरसे,
बिछड गये जबसे मनमोहन,
दिल भटके सारा ही बन-बन,
जी न लगे घरसे,
जैसी बात बनी गोपिन की,
ग्वाल-बाल-बछडे गौवन की,
क्यों रुठे हमसे,
नीन्द नहीं, छाती धडकावे,
ना जाने प्राणही उड जावे,
दिलि कापे डरसे,
तुकड्यादासकहे,फिर आओ,
एक बार फिर दर्श दिखाओ,
जब-तन-मन हरणे, आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं