(मुखड़ा) दादी, इतनी कृपा करिये, दर पे आवता रवा, मैं तो थारे दरबार से, माँ, माँगता रवा।।
(अंतरा) थोड़ो-थोड़ो देवोगा तो, बार-बार आवाँगा, दादी, थाने मीठा-मीठा, भजन सुनावाँगा, म्हारी झोली इतनी भरिये, मैं भी बाँटता रवा, मैं तो थारे दरबार से, माँ, माँगता रवा।।
एक बार में देवोगा तो, आ नी कोनी पावाँगा, मोह-माया के जाल में, माँ, मैं भी फँस जावाँगा, शुभम-रूपम, म्हे भी, हाजरी लगावता रवा, मैं तो थारे दरबार से, माँ, माँगता रवा।।
(अंतिम पुनरावृत्ति) दादी, इतनी कृपा करिये, दर पे आवता रवा, मैं तो थारे दरबार से, माँ, माँगता रवा।।