गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना भजन लिरिक्स Guru Mam Surat Ko Chadhana Bhajan Lyrics

गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना भजन लिरिक्स Guru Mam Surat Ko Chadhana Bhajan Lyrics

 
गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना भजन लिरिक्स Guru Mam Surat Ko Chadhana Bhajan Lyrics

गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना।
दया करके सत धुन की धारा गाना ॥
अपनी किरण का सहारा गाकर ।।
परम तेजोमय रूप अपना दिखाना ॥
साधना-भजन-ही न मो सम न कोऊ।।
मेरी इस दुर्बलता को प्रभुजी हटाना॥
पापों के संस्कार जन्मों के मेरे ।।
हैं जो दया कर क्षमा कर मिटाना ॥
तुम्हरो विरद गुरु है पतितन को तारन ।
अपनो बिरद राखी ‘में ही निभाना ॥
गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना।
दया करके सत धुन की धारा गाना ॥
अपनी किरण का सहारा गाकर ।।
परम तेजोमय रूप अपना दिखाना ॥
साधना-भजन-ही न मो सम न कोऊ।।
मेरी इस दुर्बलता को प्रभुजी हटाना॥
पापों के संस्कार जन्मों के मेरे ।।
हैं जो दया कर क्षमा कर मिटाना ॥
तुम्हरो विरद गुरु है पतितन को तारन ।
अपनो बिरद राखी में ही निभाना ॥
 

पदावली भजन 20 . गुरू मम सूरत को गगन पर चढ़ाना ॥ स्वर:-श्री अशोक चौधरी

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