शोधिशी मानवा राऊळी मंदिरी लिरिक्स

शोधिशी मानवा राऊळी मंदिरी लिरिक्स Shodhisi Manva Rauli Mandiri

 
शोधिशी मानवा राऊळी मंदिरी लिरिक्स Shodhisi Manva Rauli Mandiri Lyrics

शोधिशी मानवा,
राऊळी मंदिरी नांदतो देव हा,
आपुल्या अंतरी मेघ हे दाटती,
कोठुनी अंबरी सूर येती कसे,
वाजते बासरी रोमरोमी फुले,
तीर्थ हे भूवरी दूर इंद्रायणी,
दूर ती पंढरी गंध का हासतो,
पाकळी सारुनी वाहते निर्झरी,
प्रेमसंजीवनी भोवताली तुला,
साद घाली कुणी खूण घे जाणुनी,
रूप हे ईश्वरी भेटतो देव का,
पूजनी अर्चनी पुण्य का लाभते,
दानधर्मातुनी शोध रे दिव्यता
आपुल्या जीवनी आंधळा खेळ
हा खेळशी कुठवरी,




Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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