शोधिशी मानवा राऊळी मंदिरी
शोधिशी मानवा,
राऊळी मंदिरी नांदतो देव हा,
आपुल्या अंतरी मेघ हे दाटती,
कोठुनी अंबरी सूर येती कसे,
वाजते बासरी रोमरोमी फुले,
तीर्थ हे भूवरी दूर इंद्रायणी,
दूर ती पंढरी गंध का हासतो,
पाकळी सारुनी वाहते निर्झरी,
प्रेमसंजीवनी भोवताली तुला,
साद घाली कुणी खूण घे जाणुनी,
रूप हे ईश्वरी भेटतो देव का,
पूजनी अर्चनी पुण्य का लाभते,
दानधर्मातुनी शोध रे दिव्यता
आपुल्या जीवनी आंधळा खेळ
हा खेळशी कुठवरी,
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
|
Author - Saroj Jangir
इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें।
|
devotional Bhajan Lyrics in Hindi