सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता भजन लिरिक्स Subah Subah Bolo Saraswati Mata Bhajan Lyrics

सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता भजन लिरिक्स Subah Subah Bolo Saraswati Mata Bhajan Lyrics

 
सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता भजन लिरिक्स Subah Subah Bolo Saraswati Mata Bhajan Lyrics

सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता,
मैया की पग धूलि से जोड़ो नाता,
सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता,
तकदीर तेरी भी बन जायेगी,
जीवन की गाड़ी चल जायेगी,
दुनियाँ में तेरा यश फैलेगा,
याचक हर सुख पाता,
सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता,
मैया की पग धूलि से जोड़ो नाता,

मैया जी उत्तम वाणी देंगी,
कंठ में तेरे आ के बसेंगी,
मैया जी उत्तम वाणी देंगी,
कंठ में तेरे आ के बसेंगी,
जो मांगोगे तुम्हे वो मिलेगा,
जो मांगोगे तुम्हे वो मिलेगा,
खाली ना कोई जाता,
सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता,
मैया की पग धूलि से जोड़ो नाता,

मैया जी ज्ञान की गरिमा देंगी,
जीवन सफल इस जग में करेंगी,
मैया जी ज्ञान की गरिमा देंगी,
जीवन सफल इस जग में करेंगी,
भाग्य की रेखा बदल जाती है,
भाग्य की रेखा बदल जाती है,
जो इनका गुण गाता,
सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता,
मैया की पग धूलि से जोड़ो नाता,

मैया जी नवछंग नवलय भरेंगी,
तुम साधना में रहो सुख मिलेगी,
मैया जी नवछंग नवलय भरेंगी,
तुम साधना में रहो सुख मिलेगी,
मैया उनका ध्यान है रखती,
मैया उनका ध्यान है रखती,
जो मैया को ध्याता,
सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता,
मैया की पग धूलि से जोड़ो नाता,



Basant Panchami Special सुबह सुबह बोलो सरस्वती माता I Subah Subah Bolo Saraswati Mata


या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥ 
 
अर्थ : जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली मां सरस्वती हमारी रक्षा करें।
 
शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥
अर्थ : जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्मविचार की परम तत्व हैं, जो सब संसार में फैले रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खतारूपी अन्धकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिकमणि की माला लिए रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान होती हैं और बुद्धि देनेवाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वन्दना करता हूँ । 

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं

एक टिप्पणी भेजें