ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने भजन लिरिक्स Aisa Damaru Bajaya Bhajan Lyrics
मैं हिमाचल की बेटी, मेरा भोला बसे काशी,
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी,
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी,
बनकर तेरी दासी,
शम्भो, शिव शिव शिव शम्भो,
शिव शिव शिव शम्भो,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी कान्हा जी आये,
कान्हा जी आये संग राधा भी आये,
वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी गणपत चले हैं,
गणपत चले संग कार्तिक चले,
वहाँ अम्बे का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी रामा जी आये,
रामा जी आये संग लक्ष्मण जी आये,
मैया सीता का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी ब्रह्मा चले,
जहाँ ब्रह्मा चले वहाँ विष्णु चले,
मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी गंगा चले,
गंगा चले वहाँ यमुना चले,
वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
डमरू को सुन कर जी सूरज चले,
सूरज चले वहाँ चंदा चले,
सारे तारों का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी,
सारी उमर तेरी सेवा करुँगी,
बनकर तेरी दासी,
शम्भो, शिव शिव शिव शम्भो,
शिव शिव शिव शम्भो,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी कान्हा जी आये,
कान्हा जी आये संग राधा भी आये,
वहाँ सखियों का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी गणपत चले हैं,
गणपत चले संग कार्तिक चले,
वहाँ अम्बे का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी रामा जी आये,
रामा जी आये संग लक्ष्मण जी आये,
मैया सीता का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी ब्रह्मा चले,
जहाँ ब्रह्मा चले वहाँ विष्णु चले,
मैया लक्ष्मी का मन भी मगन हो गया,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
डमरू को सुन कर जी गंगा चले,
गंगा चले वहाँ यमुना चले,
वहाँ सरयू का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
डमरू को सुन कर जी सूरज चले,
सूरज चले वहाँ चंदा चले,
सारे तारों का मन भी मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया,
ऐसा डमरू बजाया भोलेनाथ ने,
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