अपना कोई नहीं अपना तो श्याम साँवरा
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
जिसको पगले समझे तू अपना
दुनिया है इक सपना, श्याम,
दुनिया है इक सपना,
मतलब की सब दुनियादारी,
बस वो ही है अपना,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना तो श्याम साँवरा,
मेरे दिल में बसा है तू ही तू,
टूटे मन का भरोसा बस इक तू ,
विरह में तेरे सूना ये जीवन,
आगे तू महकाना, श्याम,
आगे तू महकाना,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना तो श्याम साँवरा,
मन अपनी में उलझा दुनियाँ में,
ठोकर खाई उसी झूठी दुनियाँ में,
खुद को ही मैं ढूँढ ना पाऊँ,
इतना ना उलझाना, श्याम,
इतना ना उलझाना,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना तो श्याम साँवरा,
प्यारे भक्तों का तू ही दिलदार है,
जग में ऊँची सभी से तेरी सरकार है,
"कौशिक" (लेखक) तेरा दास साँवरिया,
इसको तू ना भूलाना, श्याम,
इसको तू ना भूलाना,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना कोई नहीं,अपना तो श्याम साँवरा,
अपना तो श्याम साँवरा,
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