बरसाने की छोरी होली भजन
बरसानें की छोरी, जाने क्या करवावेगी,
ओ, राधिके मटकी फुड़वावेगी,
रे राधिके मटकी फुड़वावेगी,
वृन्दावन की होली लागे, बड़ी ही सुहानी,
लट्ठ मारे, मुण्ड मारे (सर पर चोटे मरना ) करें मनमानी,
भर भर के रंग पिचकारी, खूब उड़ावेगी,
ओ, राधिके मटकी फुड़वावेगी,
रे राधिके मटकी फुड़वावेगी,
संगी सहेली तेरी मारे हैं ठिठोले,
लट्ठ मार होली में, मनवा ले हिचकोले,
हरा गुलाबी लाल रंग तू खूब लगावेगी,
ओ, राधिके मटकी फुड़वावेगी,
रे राधिके मटकी फुड़वावेगी,
जम जम के नाँचे, ग्वाल ग्वालनों की टोली,
ब्रिज की ये गोपी, बोले मिश्री सी बोली,
फागण के महीनें में, हमको खूब नचावेगी,
ओ, राधिके मटकी फुड़वावेगी,
रे राधिके मटकी फुड़वावेगी,
रूप सलौना, तेरा नखरा बेमिशाल है,
वृषभान ललित हमें करती मालामाल है,
"बब्बू चौधरी" (लेखक) के जीवन में क्या करवावेगी,
ओ, राधिके मटकी फुड़वावेगी,
रे राधिके मटकी फुड़वावेगी,
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