कुरजा (कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाय दे ऐ) मीनिंग

कुरजा (कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाय दे ऐ) लिरिक्स Kuraja Song Meaning

 
कुरजा (कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाय दे ऐ) लिरिक्स Kuraja Lyrics Meaning in Hindi

इस लोक गीत में नवविवाहिता के द्वारा कुरजा पक्षी को माध्यम बनाकर अपने विरह का चित्रण किया गया है। कुरजा पक्षी, डेमोइसेल क्रेन, साइबेरिया से हर वर्ष भारत में आते हैं। इस लोक गीत में नायिका अपने विरह का चित्रण करती है। रोजगार की तलाश में पुरुषों को अपना देस छोडकर अन्य स्थानों पर जाना पड़ता था और कुछ को युद्ध आदि के लिए अपना देश छोड़ना पड़ता था, साथ ही यातायात के साधन भी इतने नहीं थे की तुरंत ही वापस लौट आयें । यात्रा में ही कई कई महीनों का समय बीत जाया करता था । ऐसी अवस्था में स्त्रियां विरह की अग्नि में तड़पती हैं और कुरजा पक्षी को अनपे प्रिय को खबर देने के लिए कहती हैं।

सूती थी रंग महल में,
सूती ने आयो रे जंजाळ,
सुपनां रे बैरी झूठो क्यों आयो रे,
कुरजां तू म्हारी बैरड़ी ए, सांभळ म्हारी बात,
ढोला तन्ने ओळमां भेजूं थारे लार,
कुरजां ए म्हारो भँवर मिला देनी ए,
सपनों जगाई आधी रात में,
तन्ने मैं बताऊँ मन की बात,
कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाय दे ऐ,
संदेशो म्हारे पिया ने पुगा दयो ऐ,

तूं छै कुरजां म्हारे गाँव की, लागे धर्म की भान,
कुरजां ऐ राण्यो भँवर मिला द्यो ऐ,
संदेशो म्हारे पिया ने पुगा द्यो ऐ,
पांखां पै लिखूं थारै ओळमों,
चान्चां (चोंच) पै सात सलाम,
संदेशो म्हारै पिया ने पुगा द्यो ऐ,
कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिला द्यो ऐ,

लस्करिये ने यूँ कही, क्यूँ परणी छी मोय,
परण पाछे क्यों बिसराई रे,
कुरजां ऐ भंवर मिला द्यो ऐ,
कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिला द्यो ऐ,

ले परवानो कुरजां उड़ गई, गई गई समदर रे पार,
संदेशो पिया की गोदी में नाख्यो जाय,
संदेशो गोरी को पियाजी ने दीन्यो जाय,
थारी धण री भेजी मैं आ गई,
ल्याई जी संदेशो ल्यो थे बांच,
थे गोरी धण ने क्यों छिटकाई जी,
कुरजां ऐ साँची बात बताई जी,
के चित आयो थारे देसड़ो,
के चित आयो मायड बाप,
साथीड़ा म्हाने सांच बता दे रे,
उदासी कियां मुखड़े पे छाई रे,

आ ल्यो राजाजी थारी चाकरी,
ओ ल्यो साथीड़ा थांरो साथ,
संदेशो म्हारी मरवण को आयोजी,
गोरी म्हाने घरां तो बुलाया जी,
नीली घोड़ी नौ लखी,
मोत्यां से जड़ी रे लगाम,
घोड़ी ऐ म्हाने देस पुगाद्यो जी,
कुरजां ऐ राण्यो संदेशो म्हारे पिया ने पुगा द्यो ऐ,

गोरी से म्हाने बेगा मिलाद्यो जी,
रात ढल्याँ राजाजी रळकिया,
दिनड़ो उगायो गोरी रे देस,
कुरजां ऐ सांचो कोल निभायो ऐ,
कुरजां ऐ राण्यो भंवर मिलाया ऐ,
सुपनो जगाई आधी रात में,
तने मैं बतायी मन की बात,
कुरजां ऐ म्हारा भंवर मिलाया ऐ,
सुपनो रे बीरा फेरूँ फेरूँ आजे रे,
 


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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1 टिप्पणी

  1. नीली घोड़ी नौ लखी
    मोत्यां से जड़ी रे लगाम
    घोड़ी ऐ म्हाने देस पुगाद्यो जी
    गोरी से म्हाने बेगा मिलाद्यो जी

    रात ढल्याँ राजाजी रळकिया
    दिनड़ो उगायो गोरी रे देस
    कुरजां ऐ सांचो कोल निभायो ऐ