मेळो श्याम धणी को लागे भग्तों सूरजगढ़

मेळो श्याम धणी को लागे भग्तों सूरजगढ़ के माय भजन

 
मेळो श्याम धणी को लागे भग्तों सूरजगढ़

श्री खाटू श्याम जी भाँती ही सूरजगढ़ में श्री श्याम बाबा की मेहर बरसती है। श्री सूरजगढ़ श्याम बाबा का यह भजन है जिसके गायक श्री हरदीप शर्मा हैं और लेखक मनोज सैन हैं। आप भी सुनिए इस मधुर श्याम बाबा के भजन को और बोलिये जय श्री श्याम, हारे के सहारे की जय। 
 
 ओ मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
मेळो, श्याम धणी को लागे भग्तों सूरजगढ़ के माय,
सूरजगढ़ के माय, श्याम के मंदिरये के माय,
ओ मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
ओ मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,

माघ सुधी ग्यारस दिन आवे, माघ सुधी ग्यारस दिन आवे,
श्याम धजा सब लेकर आवे, श्याम धजा सब लेकर आवे,
श्याम धजा भगता रे हाथां सिखर बंध चढ़ जाए,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,

आ को है इतहास निराळो, आ को है इतहास निराळो,
भगत अठे का खोल्या ताळो, भगत अठे का खोल्या ताळो,
लग्यो अखाड़ों जद भगतां को खाटू मंदिर माय,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,

दिखण में यो गाँव है छोटो, दिखण में यो गाँव है छोटो,
सेठ अठे बैठ्यो है मोटो, सेठ अठे बैठ्यो है मोटो,
फुटेड़ी से फुटेड़ी तक़दीर अठे बण जाय,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,

श्याम अखाड़ों जद लग जावे, श्याम अखाड़ों जद लग जावे,
श्याम सिंघासन छोड़ के आवे, श्याम सिंघासन छोड़ के आवे,
बुला बुला के सब प्रेमी का, अटक्या काम बणाय,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,

आकर देखो श्याम नजारों, आकर देखो श्याम नजारों,
कहणो मानों आज हमारो, कहणो मानों आज हमारो,
'मोनू' जंग लागेड़ो ताळो किस्मत को खुल अठे जाए,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
तुलसा राम जी हेलो मारे, तुलसा राम जी हेलो मारे,
भगत भागीरथ खड़्या पुकारे, भगत भागीरथ खड़्या पुकारे,
कहे हजारी आवो मंदिर, सब संकट मिट जावे,

ओ मेळो,
ओ मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
मेळो, श्याम धणी को लागे भग्तों सूरजगढ़ के माय,
सूरजगढ़ के माय, श्याम के मंदिरये के माय,
ओ मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,
ओ मेळो, श्याम धणी को लागे, भग्तों सूरजगढ़ के माय,


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जब भक्तजन अपनी आस्था के बंधन में बंधकर उस दैवीय शक्ति के द्वार पर पहुंचते हैं, तो वे संसार की सीमाओं को लांघकर एक अनंत कृपा की खोज में लग जाते हैं। यह यात्रा केवल शारीरिक नहीं, बल्कि हृदय की गहराइयों से उपजी वह पुकार है, जो दुखों और अभावों से भरे जीवन को एक नई दिशा देती है। भक्त जब उस परम धनी की शरण में जाते हैं, तो वे अपने भाग्य को उसके चरणों में समर्पित कर देते हैं, यह विश्वास रखते हुए कि वह शक्ति उनकी हर व्यथा को सुनकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करेगी। यह आस्था का मेला ही जीवन को सार्थक बनाता है, जहां छोटे-से गांव की सीमाएं भी व्यापक हो जाती हैं और हर भक्त का हृदय उस दैवीय प्रेम से सराबोर हो उठता है।
 
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