रे बन्धु काहे अकड़ता है रे बन्धु काहे झगड़ता है लिरिक्स Re Bandhu Kahe Akadata Hai Re Bandhu Lyrics
रे बन्धु काहे अकड़ता है रे बन्धु काहे झगड़ता है,
माया मीत किसी के नहीं क्यूँ, इसमें उलझता है,
माया से ही लोभ हैं उपजे, माया का है खेल,
माया ने सब जाल बिछाया , जीवन बन गया जेल,
मोह माया और ममता के क्यूँ, पीछे पड़ता है,
माया के ही रूप हैं सारे, धन जोबन संतान,
माया पाश भयंकर इसने, बंधा हर इंसान,
दुःख का बोझ बने ये सारे,
दुःख का बोझ बने ये सब क्यूँ ,इनमें उलझता है,
आज नहीं तो कल माया तुझको धोखा दे जाएगी,
जिसके पीछे इतराता है, एक दिन हाथ छुड़ाएगी,
साँची कहे बमनावत रे क्यूँ , मूरख बनता है,
माया मीत किसी के नहीं क्यूँ, इसमें उलझता है,
माया से ही लोभ हैं उपजे, माया का है खेल,
माया ने सब जाल बिछाया , जीवन बन गया जेल,
मोह माया और ममता के क्यूँ, पीछे पड़ता है,
माया के ही रूप हैं सारे, धन जोबन संतान,
माया पाश भयंकर इसने, बंधा हर इंसान,
दुःख का बोझ बने ये सारे,
दुःख का बोझ बने ये सब क्यूँ ,इनमें उलझता है,
आज नहीं तो कल माया तुझको धोखा दे जाएगी,
जिसके पीछे इतराता है, एक दिन हाथ छुड़ाएगी,
साँची कहे बमनावत रे क्यूँ , मूरख बनता है,
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