श्रद्धा भक्ति हो गर मन में बोलते हैं पत्थर भी Shradha Bhakti Ho Gar Me Bolte

श्रद्धा भक्ति हो गर मन में बोलते हैं पत्थर भी Shradha Bhakti Ho Gar Me Bolte

 
श्रद्धा भक्ति हो गर मन में बोलते हैं पत्थर भी लिरिक्स Shradha Bhakti Ho Gar Me Bolte Hain Lyrics

श्रद्धा भक्ति हो गर मन में , बोलते हैं पत्थर भी,
जिन पर लिख दें नाम राम का , तैरते हैं पत्थर भी,

गौतम ऋषि के श्राप से देवी अहिल्या पथराई,
मुक्त श्राप कर दीनी , ऐसी किरपा करी रघुराई,
बनकर सुन्दर नारी देखो , पकडे चरण पत्थर भी,

हरिण कश्यप दानव जब खुद बन बैठा भगवान,
तब प्रहलाद के रूप में जन्में , परम भक्त संतान,
सुनकर विनती भक्त की भगवन , चीरते हैं पत्थर भी,

एक ब्राह्मण ने धन्ना भगत को ऐसा मुर्ख बनाया,
सिल का बटना देकर उसको सालिगराम बताया,
कहे बमनावत भोग लगाये , भक्ति से पत्थर भी,
श्रद्धा भक्ति हो गर मन में , बोलते हैं पत्थर भी,
जिन पर लिख दें नाम राम का , तैरते हैं पत्थर भी,
 


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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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