श्री आनंदपुर है मेरा भजन
जहां प्रभु नाम के सुमिरन का रहता नित नया सवेरा
श्री आनंदपुर है मेरा , श्री आनंदपुर है मेरा
यहां प्रेम के रंग में रंगी हुयी है ,हर पती हर डाली
यह देश है जिस में संतो की रहती है सदा दिवाली
यहां एक ज्योत व्यापक है जिस में नहीं है तेरा मेरा
श्री आनंदपुर है मेरा , श्री आनंदपुर है मेरा
यह वो ज्योति योगी जान जिस का ध्यान सदा ही धरते हैं
जिस ज्योत से सूरज चाँद सितारे जग में चानन करते है
वही अजर अमर पावन प्रभु ज्योति करती दूर अँधेरा
श्री आनंदपुर है मेरा , श्री आनंदपुर है मेरा
बिन कानों के यहाँ शब्द सुने आँखों बिन गूंथे माला
बिन बादल के बूँदें बरसे बिन सूरज रहे उजाला
वो दायम कायम सुख जिस मे संतो ने डाला डेरा
श्री आनंदपुर है मेरा , श्री आनंदपुर है मेरा
यहां तीन नदी का संगम है जो पाप ताप सब हारता है
जहाँ गगन गुफा है भीतर जिसके अमृत रस यहां झरता है
बिन गुरु कृपा के लग नहीं सकता जिस धरती पर फेरा
श्री आनंदपुर है मेरा , श्री आनंदपुर है मेरा
वहां काल माया के अन्धकार का, दखल नहीं है कोई
जो सद्गुरु देव का प्यारा है, इस देश में पहुचें सोइ
विरला कोई गुरुमुख दासा पाता है वहां बसेरा
श्री आनंदपुर है मेरा , श्री आनंदपुर है मेरा
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Satguru Bhajan Lyrics in Hindi