चौधरण खाटू ने चाली भजन
रे झुमका पहर बरेली वाला , रे कलकत्ते की नथनी चाला
काड के घूघट राजेस्थानी , गले में पहनी मोहन माला
घाघरा पहन आगरे वाला , कान में सोने की बाली
सारे जगत ते प्रीत हटाके , श्याम धणी ते लगन लगाके
चौधरण खाटू ने चाली
चौधरण खाटू ने चाली
चाली घर से श्याम धणी का बोल्या इक जयकारा
छोड़ दिया घर बार मैंने श्याम भरोसा थारा
मन में उमंग भरी है भारी , निखर गई चेहरे की लाली
सारे जग ते प्रीत हटाके , श्याम धणी ते लगन लगा के
चौधरण खाटू ने चाली
रींगस जाके उतर रेल ते ध्वजा हाथ में उठाई
पैदल चाली भक्ता के संग , मन ही मन हरषाई
जा बाबा के ध्वजा चढ़ाई , बजाई मंदिर में टाली
सारे जग ते प्रीत हटाके , श्याम धणी ते लगन लगा के
चौधरण खाटू ने चाली
मन भर आया दर्शन पाके , खूब चोधरण रोई
देख हरीश छवि श्याम की सुध बुध अपनी खोई
कहे भूलन बाबा दुख हरे देवे भक्ता ने खुशहाली
सारे जग ते प्रीत हटाके , श्याम धणी ते लगन लगा के
चौधरण खाटू ने चाली
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