पाप की मटकी तूने फोड़ी भजन
पाप की मटकी तूने फोड़ी,
पुण्य की मटकी मै ले आऊँ,
जिस मटकी में भक्ति का माखन,
वोही मटकी मै चाहूँ,
ये मटकी तो मोह की मटकी,
बात समझ ये आयी,
अब ना कभी मै तुझ से कहूँगी,
काहे करत ढिठाई,
नगर नगर और डगर डगर में
बात यही समझाऊँ,
जिस मटकी में भक्ति का माखन,
वोही मटकी मै चाहूँ,
पाप की मटकी तूने फोड़ी,
पुण्य की मटकी ले आऊ,
जिस मटकी में भक्ति का माखन,
वोही मटकी मै चाहूँ,
पाप की मटकी तूने फोड़ी
माटी की ये मटकी फूटी,
माती का तन यहाँ मिला,
भक्ति की मटकी संग अब तो
जीवन में है कमल खिला,
नारायण वो मटकी तोड़ के
जीवन चरण चढाऊं,
जिस मटकी में भक्ति का माखन,
वोही मटकी मै चाहूँ,
पाप की मटकी तूने फोड़ी,
पुण्य की मटकी ले आऊ,
जिस मटकी में भक्ति का माखन,
वोही मटकी मै चाहूँ,
पाप की मटकी तूने फोड़ी,
पाप की मटकी तूने फोड़ी,
पाप की मटकी तूने फोड़ी,
पुण्य की मटकी ले आऊँ,
ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.
ऐसे ही अन्य मधुर भजन देखें
पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।
आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं