सतगुरु सुणज्यो हेलो मारो भजन
सतगुरु सुणज्यो हेलो मारो भजन
सतगुरु सुणज्यो हेलो मारो,
बार-बार में करूं सा विनती, चाकर हूँ चरणा रो।।
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को, पहले दूर निवारो,
दया करो दुर्बल पर दाता, में हूँ बालक थारो।।
निश्चय होकर शरणो लिदो, मारो चाहे तारो,
औरा को जोर उठे नहीं चाले, एक आपको सहारो।।
भांत-भांत का हो गया भेला, करता नहीं सुधारो,
आप-आप के मार्ग जासी, मुझको आप उबारो।।
पूर्ण ब्रह्म आप अविनाशी, भेद बताओ सारो,
भाव सागर में डूबत नैया, दिखत नहीं किनारो।।
चतुर स्वामी अंतर्यामी, कृपा दृष्टि निवारो,
ओमप्रकाश शरण सतगुरु की, पहली पार उतारो।।
बार-बार में करूं सा विनती, चाकर हूँ चरणा रो।।
काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को, पहले दूर निवारो,
दया करो दुर्बल पर दाता, में हूँ बालक थारो।।
निश्चय होकर शरणो लिदो, मारो चाहे तारो,
औरा को जोर उठे नहीं चाले, एक आपको सहारो।।
भांत-भांत का हो गया भेला, करता नहीं सुधारो,
आप-आप के मार्ग जासी, मुझको आप उबारो।।
पूर्ण ब्रह्म आप अविनाशी, भेद बताओ सारो,
भाव सागर में डूबत नैया, दिखत नहीं किनारो।।
चतुर स्वामी अंतर्यामी, कृपा दृष्टि निवारो,
ओमप्रकाश शरण सतगुरु की, पहली पार उतारो।।
गुरुवाणी//सतगुरु सुणज्यो हेलो म्हारो//चम्पा लाल प्रजापति //Champa Lal Prajapati