आज हरी आये विदुर घर पावणां
आज हरी आये, विदुर घर पावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावना,
विदुर नहीं घर में विदुरानी, आवत देखे सारंग पाणि,
फूली देह नहीं आवे नहीं चिंता, भोजन कहाँ जिमावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावना,
केला बहुत प्रेम से लाई, गिरी गिरी सब देत गिराई,
छिलका देत श्याम मुख माँहि,
छिलका देत हरी मुख माँहि
लागे परम सुहावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावना,
इतने में मांहि विदुर जी आये, खरे खोटे वचन सुनाए,
छिलका देत श्याम मुख मांही,
छिलका देत हरी मुख मांही,
कहाँ गवांई तेरी भावना,
आज हरी आये, विदुर घर पावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावना,
केला विदुर लिए कर माँहिं, गिरी देत गिरधर मुख माँहि,
कहत कन्हैया सुनो विदुर जी, वो स्वाद नहीं आवणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावना,
बासी कूसी रूखी सूखी, हम तो विदुर जी प्रेम के भूखे,
शम्भू सखी धन्य धन्य विदुरानी, भक्तन मान बढावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावणां,
आज हरी आये, विदुर घर पावना,
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Author - Saroj Jangir
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